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🔏 लेखक : पंकज सनातनी
सुनें! स्कूलों में मुस्लिम लड़कियाँ अपनी हिंदू सहेलियों की सैटिंग अपने मुसलमान लड़कों से करवाती हैं और खुद किसी हिंदू लड़कों से दूर रहती हैं। क्योंकि स्कूलों में मुसलमान लड़के और लड़कियाँ झुंड बनाकर रहते हैं और वहाँ पर मुसलमान लड़कियों को समझाया जाता है कि हिंदू लड़कों से मत फँसना और मुसलमान लड़कों को समझाया जाता है कि हिंदू लड़कियों को पटाओ और मुस्लिम सहेलियों की सहायता लो।
कालेजों में भी हिंदू लड़कियों को फँसाने के लिए मुस्लिमों की अलग से ही Fresher Party होती हैं जिसमें सभी लड़के लड़कियों की आपस में पहचान करवाई जाती है। और उनको भी यही समझाया जाता है कि मुस्लिम लड़कियाँ कैसे हिंदू लड़कों से दूर रहें…? और मुस्लिम लड़के कैसे हिंदू लड़कियों के पास आए… +?
कभी-कभी तो होस्टल में किसी एक कमरे को खाली करके उसे मस्जिद बनाकर होस्टल के सारे मुसलमान लड़के नमाज़ पढ़ने आते हैं और यही नीतियाँ बनाते हैं कि कैसे हिंदू लड़कियों को पटाया जाए…? कैसे सैकुलरों को पीरखाने या दरगाहों पर ले जाकर मुसलमान बनाया जाए…?
दरगाहों, मज़ारों, पीरखानों, कब्रों और मस्जिदों से मुसलमान लड़के और लड़कियाँ एक विशेष किस्म का प्रसाद लेकर आते हैं जिसे कि तव्वरुक्ख कहा जाता है। उसमें एक विचित्र प्रकार का नशीला पदार्थ मिला होता है। जिसे खाते ही किसी भी व्यक्ति की काम इच्छा कई गुना बढ़ जाती है और उसे सैक्स करने की तड़प सी होने लगती है। तो इसी तव्वरुक्ख को ये मुसलमान लड़के-लड़कियाँ अपनी मित्र हिंदू लड़कियों को प्रसाद के रूप में खिलाते हैं।
तो श्रद्धा के नाम पर जानकारी के अभाव में ये हिंदू लड़कियाँ अंजाने में ही उस तव्वरुक्ख को खाकर सैक्स के लिए पागल हो उठती है। और इसी मौके का फायदा उठाकर पहले से ही तैयार मुसलमान लड़के हिंदू लड़कियों का कौमार्य भंग कर देते हैं। और बाद में लड़की का जमकर शोषण किया जाता है, इसी तरह हिंदू लड़कियों को खराब किया जा रहा है।
फेसबुक आदि साईटों के माध्यम से मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को अनेकों नकली IDs बनाकर Request भेजते हैं। और भोली-भाली सैकुलर हिंदू लड़कियों से मीठी-मीठी बातें करके पहले उनसे गहरी दोस्ती करते हैं। फिर उनसे उनकी फोटोज माँगते हैं। भावनाओं में बही हुई लड़कियाँ फोटोज दे देती हैं। और फिर वही लड़के उन फोटो के आधार पर लड़की को Blackmail करते हैं। जिससे हताश होकर बहुत सी लड़कियाँ फँस जाती हैं और अपना कौमार्य उन पर लुटा देती हैं और या उनसे शादियाँ कर लेती हैं।
शहर की मस्जिदों में सभी मुस्लिमों की मीटिंग रखी जाती है, जिसमें अमीर से लेकर गरीब मुस्लिम तक रेढ़ीवाला, कबाड़वाला, बर्तनवाला, धोबी, शाल कम्बल आदि बेचने वाले सभी को बुलाया जाता है। और उनसे हिंदू इलाकों में घूम घूम कर घरों की रेकी करके पता लगवाते है कितनी हिंदू जवान लड़कियाँ उस घर में हैं…? बाप कितने अमीर हैं, ये पता लगाने के बाद मस्जिदों में लड़कियों की लिस्टें बनाई जाती हैं उनके ईलाकों के हिसाब से।
और फिर पहले से तैयार रखे हुए नौजवान दिखने में थोड़े सुंदर हट्टे कट्टे नौजवानों को पैसा और मोटर साईकिल देकर उन ईलाकों में घूमने को बोला जाता है और लड़कियों को फँसाने के लिए कहा जाता है। जब किसी इलाके कि कोई लड़की नहीं पटती, तो उसे छोड़ दूसरी किसी लड़की को पटाने की कोशिश में मुस्लिम लड़का लग जाता है। ऐसा होने से कोई न कोई हिंदू लड़की किसी न किसी मुस्लिम लड़के से फँस ही जाती है।
लड़कियों के स्कूलों के आगे पंचर लगाने वाले, सब्जी या फल बेचने वाले, चाय वाले मुसलमान कड़ी नज़र रखते हैं। और अपनी पास की मस्जिदों में बताते हैं जिससे कि तैयार हुए मुसलमान लड़के छुट्टी के समय मोटरसाईकिल लेकर हाथ में कलावा बांधकर माथे पर टीका लगाकर हिंदू लड़कियों के आसपास मंडराते हैं और किसी न किसी को फँसा लेते हैं।
देखा गया है कि बड़े-बड़े सेठों की दुकानों पर या उनके घर में काम करने वाले मुसलमान ही होते हैं। और उन ऊँचे घरों की लड़कियों के तो अधिकतर दिमाग खराब ही होते हैं। जिनका लाभ उठाकर मुसलमान नौकर उनको पटा लेते हैं और अपने अन्य मित्रों की सहायता से उसे भगा लेते हैं। (ऐसा ही हुआ मुरादाबाद के एक सुनार की बेटी के साथ जो कि अपने यहाँ काम करने वाले मुसलमान लड़के के साथ 35 लाख रुपया लेकर भाग गई)
बुटीक या ब्यूटी पार्लर जिनमें मुस्लिम महिलाएँ काम करती हैं। वे वहाँ पर आने जाने वाली सुंदर हिंदू महिलाओं और लड़कियों को बहला फुसलाकर अपने मुसलमान साथी लड़कों से सैटिंग करवाती हैं। हिन्दू लड़कियों के नंबर और घर के पते मुसलमान लड़कों को बताती हैं, जिससे कि बहुत सारी लड़कियाँ और महिलाएँ फँसती हैं, मोबाइल ठीक करने और रिचार्ज कराने की दुकानों पर जहाँ पर मुसलमान युवक काम करते हैं। वे रिचार्ज करवाने आयी हिंदू लड़कियों के नंबर अपने जिहादी दोस्तों को बाँटते हैं, और उन नंबरों के द्वारा भी मुसलमान लड़के ट्रेनिंग के हिसाब से काम करते हैं और कई हिंदू लड़कीयों को पटा लेते हैं।
कपड़े सिलने वाले जितने दर्जी होते हैं अधिकतर मुसलमान होते हैं, जिनकी दुकानों पर जो हिंदू महिलाएँ जाती हैं, उनके नाम और पते की लिस्ट ये लोग अन्य साथियों को मुहैया करवाते हैं। जिसका लाभ लेकर दुकान से ही लड़के उन महिलाओं और लड़कियों का पीछा करना शुरू कर देते हैं।
देखा गया है कि मुस्लिम लड़के उन हिंदू लड़कों से विशेष दोस्ती करते हैं जिनकी बहनें जवान और सुंदर हों, या जिनके घर में लड़कियाँ हों।
तो ऐसे सैकुलर दोस्तों के घर में ये मुसलमान दोस्त आना-जाना शुरू कर देते हैं, उनकी बहनों या भाभियों पर डोरे डालना शुरू कर देते हैं, और ऐसे ही कितनी ही हिंदू परिवार की लड़कियाँ खराब की जाती हैं या भगा ली जाती हैं।
जिस किसी आफिस में मुसलमान बॉस होगा वह सबसे पहले जाते ही हिंदू कर्मचारी लड़कियों को छांटकर अलग कर लेता है। और अपने पद का प्रयोग करके उनको अपने फाँसे में लेने की कोशिश करता रहता है, या फिर अपने आफिस में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों के साथ विशेष बैठक करके उनसे सैटिंग करने को बोलता है।
अधिकतर संस्थाओं में आप ने देखा होगा कि मुस्लिम लड़कियाँ बहुत कम नौकरी करती हैं, क्योंकि वे नहीं चाहते कि मुसलमान लड़कियाँ आज़ाद होकर हिंदू लड़कों से प्रेम करें। लेकिन मुसलमान लड़कों को वहीं नौकरियाँ करवाई जाती हैं, जहाँ हिन्दू लड़की अधिक काम करती हों, ताकि वहाँ पर काम करने वाली हिंदू लड़कियों से मज़े करें और उनको पटाकर शादियाँ करें।
अधिकतर Gym Training Centres में मुस्लिम कोच जान बूझकर रखे जाते हैं। तांकि Gym करने वाली हिंदू लड़कियों पर हाथ साफ किया जा सके। तो ऐसे छोटे-मोटे अनेकों तरीकों से लव-जिहाद फैलाया जा रहा है और हिंदू लड़कियों को खराब करके हिंदूओं को समाप्त करके भारत को इस्लामिक देश (गजवा-ए-हिंद) बनाने की जी तोड़ कोशिशें हो रही हैं।
*नोट :-* यह सारी बात किसी घटना से ली गयी हैं, लव-जिहाद का शिकार हुई लड़कियों द्वारा बयाँ की गयी हैं, तथ्यात्मक और सत्य है!
✍️ साभार
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