एक मुस्लिम महिला सबीना खान कह रही हैं कि बकरी ईद पर बकरा नहीं काटें, कोई जानवर नहीं काटें अपितु केक काटकर ईद मनाएं..अब ये बात कोई हिंदू कहे तो कह सकते हैं कि उसे मजहब का ज्ञान नहीं लेकिन एक मुस्लिम महिला को तो अपने मजहब का ज्ञान है न..? लेकिन फिर भी एक कट्टरपंथी मानसिकता जिसे खून बहाने में आनंद आता है वो कहां सुनेगी ऐसी बातें
समझमें ये नहीं आता कि जो लोग दीपावली और होली पर जानवरों के लिए परेशान होते है वो ईद पर कहां छूटी मनाने चले जाते हैं? आखिर क्यों वो बड़े बड़े कथित सेलिब्रेट ( भांड) , बुद्धिजीवी मुसलमानों को ज्ञान देकर जीव हत्या करने से नहीं रोकते जो हिंदुओं को ज्ञान देने में सबसे आगे होते है। खून की नदियां बहकर खुशिया क्या कोई मानव मना सकता है..?