भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कई कई ऐसे कारनामे किए है कि अब देश की जनता का उससे विश्वास उठता जा रहा है। इसी सुप्रीम कोर्ट को आज देश के लोग अलग अलग नामों से सुशोभित करते हैं... कुछ कोठा बोलते है तो कुछ शरीयत कोर्ट ऑफ इंडिया..क्या सुप्रीम कोर्ट को नहीं सोचना चाहिए को अपनी छवि कैसे सुधारे?? यहीं इससे कोई फरक नहीं पड़ता...
जिस देश का सुप्रीम कोर्ट इस हालात में हो तो वहां न्याय कैसे और किस से मिलेगा लोगों को..?