प्राण प्रतिष्ठा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक गूढ़ आध्यात्मिक विज्ञान है।
क्या सच में मूर्ति में "प्राण" डाले जाते है, या यह केवल आस्था का विषय है?
आइए इसका गूढ़ रहस्य समझते हैं।
क्या सच में मूर्ति या यंत्र में प्राण डाले जाते हैं?
प्राण प्रतिष्ठा शब्द में "प्राण" का अर्थ केवल सांस लेने वाली जीवन शक्ति नहीं, बल्कि एक सूक्ष्म ऊर्जा है।
यह ऊर्जा पांच स्तरों पर कार्य करती है: स्थूल, सूक्ष्म, कारण , महाकारण, और ब्रह्म।
प्राण प्रतिष्ठा कैसे कार्य करती है?
यह प्रक्रिया मुख्य रूप से तीन स्तरों पर काम करती है:
1. मानसिक स्तर : व्यक्ति की आस्था और विश्वास
2. ऊर्जात्मक स्तर : यंत्र, मंत्र और तंत्र द्वारा ऊर्जा स्थानांतरण
3. दिव्य स्तर : किसी भगवत महापुरुष द्वारा मूर्ति में इष्ट का आवाहन
क्या मूर्ति सच में चेतन बन जाती है?
मूर्ति एक माध्यम है, जिसमें देवता की चेतना को आमंत्रित किया जाता है।
विज्ञान के अनुसार, जब किसी वस्तु पर बार-बार ध्यान केंद्रित किया जाता है, तो उसमें विशेष ऊर्जा संचित होने लगती है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्ति को जीवित मानना चाहिए ।
क्या बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्ति में शक्ति नहीं होती?
मूर्ति सिर्फ पत्थर या धातु होती है , प्राण डाले जाते है।
प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति के पास ध्यान करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक अनुभव होता है।
ये मूर्तियाँ शक्तिशाली होती हैं क्योंकि वहाँ वर्षों से पूजा हो रही होती है।
क्या कोई मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर सकता है?
साधारण पूजा के लिए सामान्य व्यक्ति भी प्राण प्रतिष्ठा कर सकता है।
लेकिन मंदिरों में प्रतिष्ठा करने के लिए विशेष तांत्रिक, वेदज्ञ ब्राह्मण, या सिद्ध गुरु की आवश्यकता होती है।
केवल शुद्ध हृदय और सही विधि से यह किया जा सकता है।
मूर्ति, यंत्र, और शिवलिंग की प्रतिष्ठा में अंतर
मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा देवता की ऊर्जा को एक प्रतीक में स्थापित करने का विज्ञान है।
यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा ग्रह या देवता की कृपा को सक्रिय करने की प्रक्रिया है।
शिव स्वयं ज्योतिर्लिंग रूप में ब्रह्मांड की ऊर्जा के प्रतीक हैं।
क्या प्राण प्रतिष्ठित मूर्ति को छोड़ सकते हैं?
यदि प्रतिष्ठित मूर्ति की नियमित पूजा नहीं हो रही हो, तो उसे विसर्जन करना चाहिए।
मूर्ति को किसी नदी, सरोवर, या पीपल के नीचे श्रद्धा सहित छोड़ना उचित होता है।
बिना विसर्जन के उसे घर में रखना नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
एक सामान्य व्यक्ति भी भाव से अपने घर पर मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा कर सकता है ।
जैसे मीरा ने गिरधर की मूर्ति में किए थे, और उसमें समा गई ।
लेकिन एक बार प्राण प्रतिष्ठा करने पर आपको एक जीवंत व्यक्ति की तरह उनका ख्याल रखना है।