हिंदू राष्ट्र की अवधारणा क्या है?
सबके पूर्वज सनातनी वैदिक आर्य हिंदू थे। यह ऐतिहासिक तथ्य है। यह तो विभाजन के बाद का भारत है। अगर यह भी हिंदू राष्ट्र नहीं है तो कौन होगा? गुलाम नबी आजाद ने भी स्वीकार किया है कि उनके पूर्वज कश्मीरी पंडित थे। हिंदू राष्ट्र का लक्ष्य है सुरक्षित, स्वस्थ, सुसंस्कृत, शिक्षित, सेवापरायण समाज की स्थापना है। अन्यों के हित का ध्यान रखते हुए हिंदुओं के अस्तित्व व आदर्श की रक्षा करना है। देश की सुरक्षा व अखंडता के लिए कटिबद्ध रहना है।
धर्म क्या है??
धर्म के दो भेद हैं। सिद्ध कोटि का धर्म और साध्य कोटि का धर्म। दोनों उपयोगी है। धारणात धर्म:। जो धारण करता है वह धर्म है। पृथ्वी धर्म है। उसको धारण करने वाला जल, जल को धारण करने वाला अग्नि, अग्नि को धारण करने वाला वायु, वायु को धारण करने वाला आकाश धर्म है। आकाश को धारण करने वाला अव्यक्त जिसकी शक्ति है वह आत्मा या परमात्मा धर्म है। यह तो तत्व मीमांसा की बात हुई। यज्ञ, दान, तप व व्रत साध्य कोटि का धर्म है। यज्ञ करेंगे तो देवताओं व प्राणियों का पोषण होगा। दान करेंगे तो मुट्ठी खोलने की आवश्यकता होगी ही। व्रत करेंगे तो अन्न व जल पर संयम की आवश्यकता होगी ही। तप करेंगे तो देह, इंद्रिय, अंत:करण को संयत रखना ही होगा। जो धारक व उद्धारक हो उसका नाम धर्म है। शिक्षा, रक्षा, अर्थ व सेवा के प्रकल्प सुरक्षित रहें। मातृ शक्ति सुरक्षित रहें। हर व्यक्ति की जीविका सुरक्षित रहे यही तो धर्म का अभिप्राय है, जिसमें आचरण की नैतिकता आवश्यक है।
विचार में धर्म आएगा तो आचार व आचरण में आए बिना नहीं रहेगा। धर्म का ज्ञान होगा तो धर्म आचरण के प्रति आस्था होगी। महत्व का ज्ञान होगा तो धर्मनिष्ठ व सदाचारी होंगे। किसी भी वस्तु की सत्ता व उपयोगिता जिस पर निर्भर है उसी का नाम तो धर्म है। धर्म विहीन कोई वस्तु नहीं हो सकती। धर्मनिरपेक्ष केवल एक शब्द है। वैसे ही जैसे खरगोश की सींग केवल शब्द है, जबकि वह वास्तव में होता ही नहीं है।
मंदिर, मठ आदि पर सरकारी नियंत्रण का विरोध
अगर शासन तंत्र स्वयं को सेक्युलर कहता है तो उसे धार्मिक, आध्यात्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है। पर्व का निर्धारण पंचांग के आधार पर होता है। सरकार का काम उसकी व्यवस्था करना है। अन्य धर्मों से जुड़े विषयों में कोई हस्तक्षेप करके देखे? हिंदुओं पर सबकी दाल गल जाती है।