नागा बाबा:
नागा: नागा का अर्थ है सर्प या वे लोग जो कुंडलिनी हठ योग का अभ्यास करते हैं - एक पवित्र ध्यानात्मक अभ्यास।
गुरु: नागा साधु भगवान आदि शंकराचार्य को अपना गुरु मानते हैं।
वंश: नागा साधु हिंदू भिक्षुओं के दशनामी संप्रदाय से संबंधित हैं।
निवास: वे आम तौर पर ऊपरी हिमालय में जंगलों या सुनसान मंदिरों में रहते हैं।
त्यौहार: वे नियमित रूप से कुंभ स्नान में भाग लेते हैं - एक पवित्र त्यौहार जो हिंदू पंचांग के 12 या 6 साल बाद होता है।
प्रशिक्षण: नागा साधुओं को पवित्र प्रतिज्ञाओं के साथ कठोर सत्यापन और फिर प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। नागा साधु बनने में 12 साल लगते हैं।
नागा साधु वेद, योग और पारंपरिक मार्शल आर्ट का अध्ययन करते हैं।नागा साधु ब्रह्मचारी होते हैं और संपत्ति, परिवार और समाज से पूरी तरह विमुख होते हैं।
पवित्र अग्नि: नागा साधु पवित्र अग्नि की पूजा करते हैं जिसे धूनी के नाम से जाना जाता है। वे इसकी राख को शरीर पर लगाते हैं।
नागा साधु आम तौर पर शैव होते हैं - शिव के भक्त; लेकिन, वे गणेश सूर्य, विष्णु या शक्ति के भक्त भी हो सकते हैं।
भोजन: नागा साधु सात घरों से प्राप्त भिक्षा (भिक्षा) पर निर्वाह करते हैं। वे आम तौर पर शाकाहारी होते हैं।
अघोरी साधु:
अघोरी: अघोरा का अर्थ है सरल या बिना किसी बंधन वाला।
गुरु: अघोरी भगवान दत्तात्रेय को अपना गुरु मानते हैं।
वंश: अघोरी तपस्वी हैं; जो तंत्र के माध्यम से अघोरनाथ (भैरव) की पूजा करते हैं।
निवास: वे भारत और नेपाल में श्मशान घाट, नदी तट या घने जंगलों के पास रहते हैं।
त्यौहार: वे आम तौर पर कामाख्या मंदिर में अंबुबाची मेले में दिखाई देते हैं।
प्रशिक्षण: वे तंत्र (गुप्त विद्या) में पारंगत होते हैं और अपने-अपने गुरुओं से प्रशिक्षित होते हैं।
अघोरियों के साथी होते हैं; लेकिन वे परिवार और संपत्ति से बहुत अलग होते हैं।
पवित्र अग्नि: अघोरियाँ श्मशान अग्नि की पूजा करते हैं और बहुत ही गुप्त तांत्रिक अनुष्ठान या गुप्त विद्या में लिप्त रहते हैं।
देवता: अघोरी “दस महाविद्या” (देवी दुर्गा का गुप्त रूप) की भी पूजा करते हैं।
भोजन: अघोरी सभी प्रकार के मांस (मृत) खाते हैं; लेकिन गोमांस नहीं खाते.
निष्कर्ष: नागा साधु योगाभ्यास करते हैं; अघोरी तंत्र-मंत्र की साधना करते हैं।
जय शंकर महादेव ❤️
संकलन साभार @SanatanTalks