झारखंड के राँची में स्थित राजेन्द्र इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज (RIMS) में सरस्वती पूजा के आयोजन पर रोक लगा दी गई। कई दशकों से होते आ रहे इस आयोजन को रद्द करने को कहा गया। छात्रों को सभी तैयारियाँ बंद करने और चंदे का पैसा वापस करने का आदेश RIMS प्रशासन ने जारी किया। RIMS के ही एक बड़े डॉक्टर समेत बाकी लोगों ने जब मामला उठाया तो RIMS को पीछे हटना पड़ा और उसने अनुमति दी।
RIMS में हर साल सरस्वती पूजा का आयोजन छात्र मिल कर करते हैं। यह आयोजन MBBS के दूसरे वर्ष के छात्र करते हैं। इस बार की सरस्वती पूजा आयोजन के लिए छात्रों ने लाखों का चंदा इकट्ठा करके सारे इंतजाम कर लिए थे। लगभग 70 percent काम हो चुका था। कई वेंडरों को भी पैसा दिया जा चुका था। हालाँकि, इसी बीच RIMS प्रशासन ने सरस्वती पूजा पर प्रतिबन्ध लगा दिया।
RIMS की डीन शशिबाला सिंह ने शनिवार (25 जनवरी, 2025) को एक आदेश जारी करके पूजा को निरस्त करने को कहा। इस आदेश में RIMS में मारपीट की एक घटना का हवाला दिया गया। यह घटना शुक्रवार (24 जनवरी, 2025) को घटी थी जिसमें छात्र और कुछ बाहरी लोग आपस में भिड गए थे। RIMS प्रशासन के इस आदेश पर छात्रों ने नाराजगी जताई।
RIMS में न्यूरो सर्जन डॉक्टर विकास कुमार ने भी इस आदेश को लेकर आवाज उठाई। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर RIMS प्रशासन को निशाने पर लिया। डॉक्टर विकास ने कहा, “लगता है रिम्स में बैठे बड़े पद वालो से RIMS संभल नहीं रहा है और अपनी कमी को छुपाने के लिए इस देश की सांस्कृतिक परंपराओं पर सीधा आघात किया जा रहा है, जो हर दृष्टि से निंदनीय है।”
सोशल मीडिया पर इसको लेकर भाजपा ने भी सरकार को निशाने पर लिया। भाजपा झारखंड के मुखिया बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी की साम्प्रदायिक सोच के चलते यह रोक लगी है। उन्होंने इसे धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला बताया।
वहीं स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी ने इसे बाद दावा किया कि रोक कानून व्यवस्था को देखते हुए लगाई गई है। उन्होंने कहा कि छात्र हॉस्टल में ही सरस्वती पूजा मनाएँगे। मंत्री अंसारी ने आरोप लगाया कि बाबूलाल मरांडी भाईचारे को तोड़ रहे हैं। हालाँकि, सोशल मीडिया पर काफी विरोध के बाद RIMS ने रोक का फैसला वापस ले लिया।
इसकी जानकारी डॉक्टर विकास कुमार ने दी। विकास कुमार ने लिखा, “सरस्वती पूजा की परमिशन मिल गई है ,प्रबंधन ने अपनी रोक को वापस ले लिया है। इस छात्रों में खुशी की लहर है।”
गौरतलब है कि 2022 में रांची में हुए दंगों के दौरान 2 मुस्लिम पुलिस फायरिंग में मारे गए थे। इरफ़ान अंसारी ने इन्हें शहीद का दर्जा, 50 लाख रुपए का मुआवजा और उसके परिजनों को सरकारी नौकरी देने की माँग की थी।