लगातार ट्रेन हादसों को अंजाम देने के लिए षड्यंत्र रचे जा रहे हैं, इसी कड़ी में आर्मी स्पेशल ट्रेन जो कर्नाटक से कश्मीर जा रही थी उसे उड़ाने के लिए मध्यप्रदेश में पटरी पर डेटोनेटर बिछाए गए थे ताकि ब्लास्ट कर ट्रेन को क्षतिग्रस्त किया जा सके और आर्मी के जवानों को क्षति पहुंचाई का सके। इस कारनामे को अंजाम देने के लिए डेटोनेटर बिछाने वाला मुसलमान साबिर है जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। खास बात ये है की साबिर रेलवे का ही कर्मचारी है और मौका मिलते ही उसने अपने कारनामे को अंजाम देने का खेल रच दिया।
ये ऐसी घटिया और विनाशकारी मानसिकता है जो जहां भी होगी जेहाद के लिए मौका खोजती रहेगी और जैसे ही मौका मिलेगा अपने कारनामे अंजाम दे देगी। इस मानसिकता से आम जनमानस के साथ साथ सरकार / प्रशासन को भी सतर्क रहना चाहिए। ऐसी मानसिकता यादि जिम्मेदार पदों पर होगी तो सोजिए देश के लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती है ये समझने की जरूरत है। सरकार को राष्ट्रहित को ध्यान में रखते हुए ऐसी मानसिकता को सरकारी पदों से दूर रखना चाहिए, राष्ट्रहित से बढ़कर कुछ नहीं।
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में बुधवार (18 सितंबर) को रेलवे ट्रैक पर डेटोनेटर बरामद हुए थे। आशंका जताई गई थी कि ये डेटोनेटर उस ट्रेन को ब्लास्ट के साथ बेपटरी करने के लिए रखे गए थे, जिसमें अधिकतर भारतीय सेना के जवान व अधिकारी सफर कर रहे थे। अब इस मामले में पुलिस ने साबिर नाम के आरोपित को गिरफ्तार किया है। साबिर रेलवे का ही कर्मचारी है। इस करतूत के पीछे के मकसद की जाँच करवाई जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रेलवे के स्टाफ साबिर की गिरफ्तारी सोमवार (23 सितंबर 2024) को हुई है। उस से NIA (राष्ट्रीय जाँच एजेंसी), ATS और RPF पूछताछ कर रही है। डेटोनेटर को पटरी पर रखना कोई साजिश थी या शरारत इसकी भी पड़ताल करने में जाँच एजेंसियाँ जुटी हुई है। साबिर की गिरफ्तारी का संज्ञान रेल मंत्रालय ने भी लिया है। मंत्रालय की तरफ से भी जाँच के आदेश जारी किए गए हैं। मामला सेना से जुड़ा हुआ है इसलिए अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।
वहीं इस मामले में सेंट्रल रेलवे के जनसम्पर्क अधिकारी डॉ स्वप्निल नीला का भी बयान सामने आया है। उन्होंने बताया कि बरामद डेटोनेटर रेलवे द्वारा ही प्रयोग में लाए जाते हैं लेकिन ये जहाँ मिले, वहाँ उनके होने का औचित्य नहीं था। बताते चलें कि डेटोनेटर अमूमन कोहरे या धुंध में ट्रेनों को रोकने के काम आते हैं। इनकी आवाज से ड्राइवर को अलर्ट जाता है और वो ट्रेन को रोकना शुरू कर देते हैं। ये डेटोनेटर स्टेशन मास्टर, की मैन और लोको पायलट आदि के पास उपलब्ध होते हैं।
बताते चलें कि यह घटना बुरहानपुर के नेपानगर इलाके की है। यहाँ के सागफाटा इलाके से 18 सितंबर को जम्मू कश्मीर से होते हुए आर्मी स्पेशन ट्रेन कर्नाटक की तरफ जा रही थी। अचानक ही ट्रैक पर विस्फोट होने लगे तो लोको पायलट ने ट्रेन रोक कर एक बड़े हादसे की आशंका को टाल दिया। मामले की सूचना उसी समय कंट्रोल रूम को दी गई थी जिसके बाद एजेंसियों ने जाँच शुरू कर दी थी।