अष्ट-दिक्पाल, जिन्हें दिशा के आठ रक्षक देवता के रूप में जाना जाता है, हिंदू धर्म में दिशाओं की रक्षा करने वाले आठ देवताओं का एक समूह है।
ये आठ देवता ब्रह्मांड की आठ दिशाओं की रक्षा करते हैं, और इन्हें दिशा के संरक्षक देवता माना जाता है।
प्रत्येक दिक्पाल का एक विशिष्ट क्षेत्र है, और उनके स्वरूप, शक्तियां, और वाहन भी भिन्न होते हैं।
1. इन्द्र (पूर्व दिशा)
स्वरूप: इन्द्र देवताओं के राजा हैं और स्वर्गलोक के शासक हैं। उनका रंग सुनहरा और श्वेत है, और वे राजसी वेशभूषा धारण करते हैं।
शक्ति: इन्द्र वज्र के धारक हैं, जो बिजली का प्रतीक है। वे युद्ध और विजय के देवता माने जाते हैं।
वाहन: ऐरावत, चार दांतों वाला सफेद हाथी, इन्द्र का वाहन है।
इन्द्र देवता वृष्टि के भी अधिपति हैं, जो किसानों और फसलों के लिए महत्वपूर्ण है।
2. अग्नि (दक्षिण-पूर्व दिशा)
स्वरूप: अग्नि देवता का स्वरूप उग्र है। उनके दो चेहरे और सात जिव्हाएं मानी जाती हैं। उनका रंग लाल है, और वे अग्नि से घिरे रहते हैं।
शक्ति: अग्नि देवता यज्ञ और बलि के देवता हैं। वे ऊर्जा, पवित्रता, और परिवर्तन के प्रतीक हैं।
वाहन: मेष (भेड़) अग्नि का वाहन है।
अग्नि देवता को यज्ञों का वाहक माना जाता है, और उनके माध्यम से देवताओं को बलि अर्पित की जाती है।
3. यम (दक्षिण दिशा)
स्वरूप: यम देवता का स्वरूप गंभीर और न्यायप्रिय है। वे काले या गहरे नीले रंग के होते हैं।
शक्ति: यम मृत्यु के देवता हैं। वे पाप और पुण्य के आधार पर आत्माओं का न्याय करते हैं और उनके अनुसार उन्हें अगले जन्म में भेजते हैं।
वाहन: यम का वाहन भैंसा (महिष) है।
यम को काल का प्रतीक माना जाता है, और उनके सहयोगी चित्रगुप्त सभी जीवों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं।
4. निर्ऋति (दक्षिण-पश्चिम दिशा)
स्वरूप: निर्ऋति का स्वरूप भयानक और उग्र है। वे अशुभ और काले रंग के होते हैं, और अक्सर अस्त्र-शस्त्र से सुसज्जित होते हैं।
शक्ति: निर्ऋति विनाश और अकाल के देवता हैं। वे आपदाओं और अशुभ घटनाओं के कारक माने जाते हैं।
वाहन: गधा (खर) उनका वाहन है।
निर्ऋति को पाप और अधर्म के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
5. वरुण (पश्चिम दिशा)
स्वरूप: वरुण देवता का स्वरूप विशाल और जलमय है। वे नीले रंग के होते हैं और शंख, मकर, और माला धारण करते हैं।
शक्ति: वरुण जल के देवता हैं, और वे समुद्रों, नदियों और सभी प्रकार के जल स्रोतों के अधिपति हैं।
वाहन: मकर (एक जलजीव, अक्सर इसे मगरमच्छ या मछली के रूप में दर्शाया जाता है) उनका वाहन है।
वरुण देवता सत्य और शपथ के प्रतीक माने जाते हैं। वे न्याय और धर्म के रक्षक हैं।
6. वायु (उत्तर-पश्चिम दिशा)
स्वरूप: वायु देवता का स्वरूप तेज और गतिशील है। उनका रंग सफ़ेद होता है, और वे गति और चपलता के प्रतीक हैं।
शक्ति: वायु वायु के देवता हैं, और वे जीवनदायिनी प्राण वायु के अधिपति हैं।
वाहन: हिरण (मृग) उनका वाहन है।
वायु देवता को हनुमान और भीम का पिता माना जाता है। वे जीवन की ऊर्जा और गति के कारक हैं।
7. कुबेर (उत्तर दिशा)
स्वरूप: कुबेर देवता का स्वरूप मोटा और समृद्धि से भरा हुआ है। वे
सामान्यतः सोने के आभूषणों और रत्नों से सुसज्जित होते हैं।
शक्ति: कुबेर धन और संपत्ति के देवता हैं। वे सभी प्रकार की भौतिक संपत्ति और समृद्धि के कारक माने जाते हैं।
वाहन: मनुष्य या गधा (पुरुष या खर) उनका वाहन है।
कुबेर देवता को यक्षों का राजा भी माना जाता है, और वे धन और संपत्ति के संरक्षक हैं।
8. ईशान (उत्तर-पूर्व दिशा)
स्वरूप: ईशान देवता का स्वरूप शांत और दिव्य है। वे शिव के रूप में दर्शाए जाते हैं, जो गंगा जल से सुसज्जित होते हैं।
शक्ति: ईशान शिव का एक रूप हैं, और वे आध्यात्मिकता, मोक्ष, और ध्यान के प्रतीक हैं।
वाहन: वृषभ (बैल) उनका वाहन है।
ईशान को शिव का परम रूप माना जाता है, और वे सभी दिशाओं की शक्ति के स्रोत हैं।
इन अष्ट-दिक्पालों का ध्यान और पूजा वास्तुशास्त्र, यज्ञ, और धार्मिक अनुष्ठानों में महत्वपूर्ण मानी जाती है, ताकि दिशाओं की रक्षा हो और उनका सम्यक् प्रभाव बना रहे।
स्त्रोत: गरुड़ पुराण