* गायकी रीढ़में 'सूर्यकेतु' नामक नाड़ी होती है, जो सूर्यके प्रकाशमें जाग्रत् होती है, इसलिये गाय सूर्यके प्रकाशमें रहना पसन्द करती है। यह नाड़ी सूर्यकी किरणोंद्वारा रक्तमें स्वर्णक्षार बनाती है, वही स्वर्णक्षार गोरसमें विद्यमान है।इसलिये गायका दूध, मक्खन, घी, स्वर्ण आभावाला है, जो सर्वरोगनाशक और विषविनाशक होता है गायके दूधमें जो स्वर्णतत्त्व पाये जाते हैं, वे तत्त्व माँके दूधके अतिरिक्त दुनियाके किसी भी पदार्थमें नहीं मिलते हैं ।जो 'सैरीटोनिक' हारमोन्सकी कमी नहीं होने देता। इस हारमोन्सकी कमी से ही आदमीका मूड खराब रहता है * गायके दूधमें 'कंजूगेटिड लिनोलिक एसिड (सी० एल०ए०) ' यौगिक सर्वाधिक पाया जाता है, जो कैंसररोधी है। गायके दूधमें ही Strontium तत्त्व है, जो अणु विकिरणका प्रतिरोधक है ।गोदुग्धमें मनुष्यमें पहुँचे रेडियोधर्मी कणोंका
प्रभाव नष्ट करनेकी असीम क्षमता है । - शिराविच (रूस)
गायके दूधमें 'स्ट्रोन्शियम' पाया जाता है, जिससे होमियोपैथिक दवा 'स्ट्रेन्शिया' बनती है, जो पुरानी चोटोंमें काम आती है।
* दूधमें अमीनो एसिड पर्याप्त मात्रामें मिलता है इससे शरीर बढ़ता है तथा कोशिकाओंकी टूट-फूटकी क्षतिपूर्ति होती है ।
आजके वैज्ञानिक विश्लेषणसे भी यह स्पष्ट हो चुका है कि गायके दूधमें पौष्टिकता और रोगोंसे लड़नेकी अद्भुत शक्ति है ।दुग्धकल्पमें दूध पीनेसे मूत्र बहुत आता है, इसलिये मूत्राशयके रोग पथरी आदि दूर हो जाते हैं । स्त्रियोंमें गर्भाशय एवं मासिक धर्मकी खराबी दूर हो जाती है।
बार-बार पेशाब आना, प्रमेह तथा मिरगीमें गायका दूध लाभकारी होता है।
* गायका दूध चेचक रोगका नाशक होता है ।
* बुद्धिजीवी मनुष्यकी रोजकी उचित खुराकमें गाँधीजीने गायका दूध प्रमुख माना है । अमेरिकन पत्र 'फिजिकल कल्चर' के सम्पादक और प्रसिद्ध दुग्धाहार चिकित्सक मेकफेडनका कथन है कि इस जगत्में गायके दूधसे बने मक्खनके समान सर्वगुणसम्पन्न पौष्टिक खाद्य-पदार्थ कोई दूसरा नहीं है।
मैनपुरी नगरमें एक डॉ० कपूर थे। उन्होंने ९० वर्षकी आयुमें पार्थिव शरीर छोड़ा। इस अवस्थामें भी उनका एक बाल भी श्वेत नहीं हुआ था। वे नित्य बालोंमें गो-दुग्धके फेनका प्रयोग करते थे।
रूसी वैज्ञानिक शिरोविचने आणविक विकिरणसे रक्षापर अपने प्रयोगके दौरान पाया कि गोघृतकी अग्निमें आहुति देनेपर उससे निकली सुवास जहाँतक फैलती है, वहाँतकका सारा वातावरण प्रदूषण एवं आणविक विकिरणसे मुक्त हो जाता है। रूसमें ही गायके घीसे हवन करके उसके बारेमें अनुसन्धान किया गया था। जहाँ-जहाँ जितनी दूरीमें उस हवनके धुएँका प्रभाव फैला, उतना क्षेत्र कीटाणुओं और बैक्टीरियाके प्रभावसे मुक्त हो गया । गायके घीमें अधिकतम प्राणवायु निर्माणक रसायन रहते हैं । एक चम्मच गायके घीको कण्डोंकी आगमें आहुति देने पर एक टनसे अधिक प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती है, जो अन्य किसी भी उपायसे असम्भव है ।गायके घीको चावलके साथ मिलाकर जलानेपर अत्यन्त महत्त्वपूर्ण गैसें जैसे- इथीलीन ऑक्साइड, प्रोपलीन ऑक्साइड, फार्मल्डिहाइड आदि बनती हैं।
आजकल सर्वाधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस इथीलीन ऑक्साइड है, जो ऑपरेशन थियेटरसे लेकर जीवनरक्षक औषधि बनानेमें उपयोगी है।
कृत्रिम वर्षा करानेके लिये प्रोपलीन ऑक्साइड गैसका वैज्ञानिक मुख्य रूपसे प्रयोग करते हैं।
* गोघृत पर्यावरणकी शुद्धिमें मददगार, बुद्धिका टॉनिक, ओजोनके छेदोंको भरनेवाला है। गायका घी मस्तिष्क तथा हृदयकी सूक्ष्मतम नाडियोंमें पहुँचकर शक्ति प्रदान करता है ।नासिकामें गोघृतके उपयोगसे मस्तिष्क कोशिकाओं में स्थिरता बनी रहती हैं और वे शक्ति तथा प्राणवायुसे परिपूर्ण रहती हैं जिससे हमारा व्यवहार शान्त तथा ठण्डा रहता है । गोघृत कॉलेस्ट्रॉलको बढ़ाता नहीं, बल्कि कम करता या नियन्त्रणमें रखता है। इसके सेवनसे हृदयपर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता ।
पीले रंगका कैरोटीन नामक द्रव्य केवल गोघृतमें है कैरोटीन तत्त्व शरीरमें पहुँचकर विटामिन 'ए' तैयार करता है। गायके चारे में अधिक हरा चारा मिलाकर अधिक मात्रामें विटामिन 'ए' प्राप्त किया जा सकता है ।
स्वर्गकी अप्सरा उर्वशी राजा पुरूरवाके पास गयी तो उसने अमृतकी जगह गायका घी पीना ही स्वीकार किया । (श्रीमद्भा० ९ । १४ । २२)
जो मक्खन दहीके बिलोनेसे निकलता है, उसमें
कुछ ऐसे सूक्ष्म जीवाणु होते हैं, जो न केवल पाचनशक्तिको बढ़ाते हैं, बल्कि उनका व्यवहार कैंसर जैसे रोगोंसे भी बचा सकता है। अमेरिकी वैज्ञानिक प्रो० जार्ज शीमनके अनुसार गायका दही हृदय रोगकी रोकथाममें कारगर है ।यह रक्तमें बननेवाले ‘कॉलेस्ट्रॉल' नामक सख्त पदार्थको मिटानेकी क्षमता रखता है।
'नेचर' पत्रिकाके अनुसार गायके दहीमें एक ऐसा मित्र बैक्टीरिया पाया गया है, जो एड्सकी बीमारीको फैलनेसे रोकने में मददगार है । गर्भवती महिला अगर चाँदीकी कटोरीमें गायके दूधमें जमाया हुआ दहीका सेवन नित्य करे तो गर्भमें आनेवाला बालक मेधावी और तेजस्वी होगा, विनोबाजी प्रातः यही दही खाते थे। उनके पेटका अल्सर दूर हो गया।
ॐ सन्त विनोबाकी 'तक्रं तारकम् ' नामक किताबमें लिखा है कि ७५ फीसदी बीमारियाँ गोदुग्धके मट्ठेसे ही मिट जाती हैं।
* गायके दूधसे बनी छाछ किसी भी प्रकारके नशे
जैसे – गाँजा, भाँग, चिलम, तम्बाखू, शराब, हीरोइन,
स्मैक इत्यादिसे होनेवाले प्रभावको ही कम नहीं करती,
अपितु इसके नियमित सेवनसे नशेका सेवन करनेकी
इच्छा भी धीरे-धीरे कम हो जाती है ।