2021
अफगानिस्तान - प्रजातंत्र पर हमला किया गया, राष्ट्रपति के घर को रौंद दिया गया, तालिबान ने तख्ता पलट दिया, लेकिन भारत में सब ठीक था, सबको भरोसा था, मोदी सब संभाल लेंगे
2022
श्रीलंका- प्रजातंत्र का गला घोटा गया, राष्ट्रपति के घर शैतानी तांडव हुआ, सड़कों पर आतंक का नंगा नाच हुआ, लेकिन भारत में सब ठीक था, इस बार भी यकीन पुख्ता था, कि मोदी है न!
2024
बांग्लादेश- फिर प्रजातंत्र निशाने पर है, शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा है, प्रधानमंत्री के घर से सब लूट लिया गया है, सड़कों पर मौत धूम रही है, लेकिन भारत में आज भी सब ठीक है, भरोसा इस बार भी मोदी की लीडरशिप पर ही है।
लेकिन हां! इस बार दिल के एक कोने में कहीं थोड़ा सा डर भी है, ये यकीन तो है कि मोदी संभाल लेंगे, लेकिन डर उनका है वो जिनका हौसला बढ़ा हुआ है!
डर अमेरिका और यूरोप से हस्पक्षेप की मदद मांगने वालों का है!डर झूठ फैलाने वाले इको सिस्टम का है! जिस इको सिस्टम के झूठ ने मोदी को 240 पर रोक दिया, वो तो कहिये कि मोदी अभी भी पीएम हैं, लेकिन न होते तो क्या होता? वो तो कहिए कि मोदी की मेहनत और देशवासियों के भरोसे ने सब संभाल लिया, लेकिन इस बार अगर मोदी पीएम न बन पाते तो क्या होता?
बंग्लादेश के हालत देख कर समझ आर रहा है!!!