पापियों का एक मात्र हल उनका वध ही है । प्रेम से सब कुछ नहीं पाया जा सकता । यह तथ्य जितना शीघ्र , हम अपने भेजे में उतार लेंगे , उतना ही सुरक्षित रख सकेंगे - अपने परिवार , समाज , संस्कृति , संस्कार और राष्ट्र को .....
बुराई को सहन करोगे तो बुराई बढ़ती जाएगी , इसलिए उसका अंत जरूरी है। हिंदुओं के लिए अब समय सहन करने, सेकुलर बनने का नहीं है अपितु अब निर्णायक समय है जब हिंदुओं को अपने अस्तित्व की रक्षा करनी है, अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य सुरक्षित रखना है, अपनी बहन बेटियों की अस्मिता बचानी है।