यह नेताओं और पत्रकारों का वहम मात्र है कि विनेश फोगाट प्रकरण हरियाणा विधान सभा चुनाव २०२४ में भाजपा को भारी पड़ेगा जाट मतदाताओं की इस प्रकरण के कारण हुई नाराजगी के कारण। जाटों ने हरियाणा विधान सभा चुनाव २०१९ में भी भाजपा को ठेंगा ही दिखाया था। कैप्टन अभिमन्यु जैसे नेता, जो राज्य सरकार में महत्त्वपूर्ण मंत्रालय के मंत्री थे, सुभाष बराला, जो हरियाणा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे, और दोनों ही जाट हैं, जैसों को विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर हार मिली थी। बबीता फोगाट जैसी सम्मानित महिला जाट खिलाड़ी को भाजपा प्रत्याशी को हार मिली थी। योगेश्वर दत्त जैसे ओलंपिक पदक विजेता पहलवान को भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विधान सभा चुनाव में हार मिली थी।
भाजपा को हरियाणा विधान सभा चुनाव २०१४ में ४५ सीटों पर जीत मिली थी और पूर्ण बहुमत की सरकार बनी थी हरियाणा राज्य में पहली बार। २०१९ में पांच वर्ष के कार्यकाल में कुशल व भेदभाव रहित शासन देने के पश्चात भाजपा को ४० सीटें मिली थी और २०२४ के विधान सभा चुनाव के लिए होने वाले ओपिनियन पोल ३५ से ४० सीटें भाजपा द्वारा जीते जाने की बात कर रहे हैं।
हरियाणा में भाजपा का दरमोदार पूरी तरह से भाजपा के नेताओं व कार्यकर्ताओं तथा संघ के पदाधिकारियों व स्वयंसेवकों के आचरण पर निर्भर करता है न कि जाट मतदातों की नाराजगी पर। भीतरघात नहीं हुआ तो भाजपा २०१९ का प्रदर्शन दोहरा सकती है या बेहतर कर सकती है। भीतरघात हुआ तो अधिक नुकसान होना तय है।