भारत के आर्किटेक्ट भेड़ चाल वाले होते हैं यह मूर्ख लोग भूल जाते हैं कि किसी भी देश के आर्किटेक्ट में उसे देश के मौसम का सबसे बड़ा रोल होता है और उसे देश का आर्किटेक्ट उस देश के मौसम यानी क्लाइमेट के हिसाब से डिजाइन किया जाता है
यह जो फैब्रिक वाला कैनोपी सिस्टम है यह एकदम सुखे देश रेगिस्तानी देशो या एरिया की आर्किटेक्चर है इसका फायदा यह होता है की सुखी धूप में गर्मी में हिट को ट्रांसफर नहीं करता चार या पांच साल में इसका फैब्रिक खराब हो जाता है तो बदल दिया जाता है कोई लंबा खर्च नहीं होता
लेकिन यह भारत जैसे उष्णकटिबंधीय माहौल में जहां हर 4 महीने में मौसम बदल जाता है वहां के लिए बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है
फैब्रिक के ऊपर मौसम की बहुत तगड़ी मार पड़ती है भयंकर गर्मी के बाद भारत में कब बारिश हो जाए कोई ठिकाना नहीं होता बारिश के बाद ठंड आती है फिर ठंड के बाद गर्मी आती है और टेंपरेचर के तेज बदलाव से यह फैब्रिक खराब हो जाता है भारत में हवा भी तेज चलती है और इस फैब्रिक कैनोपी को स्टील की संरचना पर लगाया जाता है
लेकिन मूर्ख सरकारों ने रेगिस्तान माहौल के इस आर्किटेक्ट को भारत में भी लगा दिया
और अब भारत के जितने भी एयरपोर्ट पर यह रेगिस्तान माहौल के फैब्रिक कैनेपी लगाए गए हैं ध्वस्त हो रहे हैं सरकार की बदनामी हो रही है
लेकिन सरकार और आर्किटेक्ट रिसर्च नहीं करते कि भारत के लिए कौन सी डिजाइन ठीक रहेगी