संसद सत्र की शुरुआत में मोदी जी का सख्त रुख....उन्होंने विपक्ष को भी नहीं बख्शा। मोदी जी ने जो बाते कही उनसे तो एक मजबूत अहसास होता है , आशा है जो अहसास मोदीजी के इस संबोधन से हो रहा है वैसा हो काम भी होगा और देश जल्द ही "हर संभावित खतरों से सुरक्षित होते हुए" विकसित भारत की राह पर आगे बढ़ेगा
1. संसदीय लोकतंत्र में आज का दिन गौरव मय है,यह वैभव का दिन है। आजादी के बाद पहली बार हमारे अपने नए संसद में यह शपथ हो रहा है, अब तक ये प्रक्रिया पुराने संसद में होती थी।
2. कल 25 जून है, 50 साल पहले इसी दिन संविधान पर काला धब्बा लगा दिया गया था। हम कोशिश करेंगे कि देश में कभी भी ऐसी कालिख न लग सके।
3. आज़ादी के बाद दूसरी बार किसी सरकार को लगातार तीसरी बार देश की सेवा करने का अवसर मिला , यह अवसर 60 साल बाद आया है जो की गौरव की बात है।
4. हम मानते है सरकार चलाने के लिए बहुमत होता है लेकिन देश चलाने के लिए सहमति बहुत ज़रूरी होती है।
5. देश की जनता ने हमें तीसरी बार अवसर दिया है। हमारी जिम्मेदारी तीन गुना बढ़ गई है... इसलिए मैं देशवासियों को भरोसा देता हूं कि अपने तीसरे कार्यकाल में हम तीन गुना मेहनत करेंगे और तीन गुना परिणाम प्राप्त करेंगे।
6. देश की जनता को नाटक, हंगामा नहीं चाहिए। देश को नारे नहीं, substance चाहिए। देश को एक अच्छा विपक्ष चाहिए, एक जिम्मेदार विपक्ष चाहिए।