आपातकाल एक कालरात्रि🚩मीसाबंदीयो, का त्याग और तप🚩
भारत के इतिहास में आपातकाल एक कालरात्रि, काला दिवस से कम नही है। वर्ष 1971 भारत के आम चुनाव में कांग्रेस को 352 सीटो के साथ बहुमत प्राप्त हुआ, इंदिरागांधी भारत की प्रधानमंत्री बनी। इंद्रा गांधी उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से अवैध तरीके से श्री राजनारायण जी के सामने चुनाव जीती, उक्त सीट के चुनाव को श्री राजनारायण जी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी, जिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा इंद्रा गांधी का चुनाव अवैध घोषित कर दिया गया था।
इलाहाबाद कोर्ट के फैसले को इंद्रा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनोती दी परन्तु सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंदिरा गांधी को सिर्फ प्रधानमंत्री बने रहने की अनुमति तो दी परन्तु अंतिम फैसले तक सांसद में मतदान में भाग नही लेने का आदेश दिया, उक्त सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दूसरे ही दिन श्री जयप्रकाश जी नारायण द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली केंद्र सरकार और कांग्रेस के विरुद्ध की जिसमे नारा दिया गया कि सिंहासन खाली करो, जनता आ रही है
इस ऐतिहासिक रैली ओर देश मे तत्कालीन माहौल को देखकर इंद्रा गांधी ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ फकरुद्दीन अली से मिलकर 25 जून रात्रि में देश मे आपात काल लगा दिया गया।
आपातकाल (इमरजेंसी) मतलब
--देश के नागरिकों को आवाज बन्द
--विपक्ष की आवाज बन्द
--समस्त नागरिक के अधिकार समाप्त
--प्रेस मीडिया पर पूर्ण प्रतिबंद लगा दिया गया
--कांग्रेस के विरोध में काम करने वाले विरोधी पार्टी संगठन के नेताओ, कार्यकर्ताओ
को रातों रात बलपूर्वक घरों से उठाकर, ले जाकर जेलों में डाल कर प्रताड़ित किया गया!
--तानाशाही ओर मनमानी करके देश की ओर मीडिया की आवाज बिना कारण बन्द की गई
आपातकाल में जितने भी देश भक्तों को जेलों में बंद किया गया वे निर्दोष थे कोई अपराध नही किया गया था, फिर भी विनाशकाले विपरीत बुद्धि वाला काम कांग्रेस और इंद्रा गांधी ने किया! 21 महीने के आपातकाल में कई, सामाजिक कार्यकर्ता बिना अपराध के, बिना कारण जेलों में बंद रहेघर परिवार बर्बाद हुए,घर, परिवार ने कई समस्याओं का सामना किया परन्तु कांग्रेस की इतनी प्रताड़ना के बाद भी राष्ट्रभक्तो ने अपना राष्टीय कर्तव्य निभाते हुए कांग्रेस का विरोध किया। विरोध एक ज्वालामुखी बन कर सामने आया!
21 मार्च 1977 को देश मे जैसे ही 21 माह बाद आपातकाल समाप्त हुआ, केंद्र सरकार और इंदिरा गांधी के विरुद्ध एक एक क्रांति का उदय हुआ, राष्ट्रभक्त नेताओ की संगठन में सक्रियता से देश का आम नागरिक जाग्रत हुआ कांग्रेस के विरुद्ध आवाज लगाने लगा, ओर देश मे आम चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा, एक नए युग का शुभारंभ देश मे हुआ!
इंद्रा गांधी की हिटलरशाही, तानाशाही के कारण भारत के सभी समाजसेवी, संगठन देशभक्तों ने कांग्रेस के विरुद्ध देश मे एक माहौल खड़ा किया, यही आपातकाल कांग्रेस के सर्वांगीण पतन का कारण है!
कांग्रेस की प्रताड़ना, ओर बिना कारण जेलों में बंद रहने वाले राष्ट्र भक्तों मीसाबंदी को भाजपा सरकार ने लोकतंत्र सेनानी का दर्जा देकर उनका सम्मान किया!
आज भाजपा का जो वट व्रक्ष हमे दिख रहा है वह वृक्ष लोकतंत्र के ऐसे बहादुर मीसाबंदियों की त्याग, तपश्या, संघर्ष का परिणाम है, जिन्होंने जीवन का सबसे कठिन समय जेलों में बिताया ओर अपना विरोध जारी रखा, किसी के आगे, सरकार के आगे झुके नही डटे रहे!🚩
आज इस अवसर पर में उन समस्त मीसाबंदी को प्रणाम करता हु, आपका त्याग, संघर्ष युवाओ के लिए एक प्रेरणा है, आपका संघर्ष देश कभी नही भूल सकता🚩🚩🚩