योगी सरकार पेपर लीक अध्यादेश लाई है, देखते हैं जनता क्या करती है...नकल विरोधी अध्यादेश याद है ? 👇
कल्याण सिंह नकलची छात्रों के लिए भयानक सपना बन कर उभरे थे। 1992 का परिणाम 10 या 12 परसेंट था। मुलायम एंड आल पार्टी ने खूब हल्ला किया और वादा किया कि वह सत्ता में आए तो इस अध्यादेश को खत्म कर देंगे।
मुलायम को छात्रों ने उनके माता पिता ने भर भर के वोट दिया। उसके बाद नकल करने का जो भयानक दौर चला उससे शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई। क्लास में नकल मुहैया कराना पेपर लीक होने से अधिक जघन्य अपराध था, जिसकी कोई सजा नहीं बल्कि वाहवाही होती थी।
मैं पिछले बीस साल से उड़न दस्ते में चलता हूं, जैसे ही नकल मिलती है नौकरशाही से लेकर सत्ताधारी लोगों के फोन आने लगते हैं। ऐसे ऐसे लोगों के फोन जो घोर नैतिक होने का ढोंग करते हैं, गुंडा माफिया लोग नकल छोड़ने के लिए फोन करते हैं। जो लोग संविधान को हाथ में लेकर उसे बचाने की कसम खाते हैं, नीट पेपर लीक को लेकर धरना भाषण देते हैं।
इन सबका नतीजा आज विश्व के टॉप 200 शैक्षणिक संस्थानों में भारत निल्ल बटे सन्नाटा है और नकल की महामारी ने शिक्षा तंत्र को खोखला कर दिया।
कल्याण सिंह बाद में 1996 में आये लेकिन फिर वह इसे लागू करने की हिम्मत नहीं कर सके। शासक वर्ग जनता के विरुद्ध नहीं जा सकता, खासकर लोकतंत्र में। जनता अगर गैर जिम्मेदार और वाहियात हो तो कोई भी सख्त योजना कभी कारगर नहीं हो सकती।
असलियत यह है कि नौकरशाही और शिक्षा माफियाओं से पालित पोषित राजनेता अपने बालकों को डॉक्टर, इंजीनियर बनवाने के लिए हेर फेर करवाते हैं। पेपर पहले भी बिकता था वही माता पिता इसे खरीदते हैं जो कहते हैं कि भ्रष्टाचार बहुत हो रहा है। जो भ्रष्टाचार को दूर करने की हिम्मत करेगा, उसका कल्याण सिंह की गति को प्राप्त होना तय है। (सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश सरकार नकल रोकने के लिए जल्दी अध्यादेश जारी करने जा रही है..?)
जाग्रत जनता के सहारे ही लोकतंत्र फल फूल सकता है, नहीं तो मत्स्य राज आने में ज्यादा समय नहीं है।
एक अधिकारी की कलम से