प्यार में सब जायज है, प्रेम एक दूसरे के बदन को नोचना, दुनिया की परवाह ना करना, मैं भी नही करती थी
और मेरे मन में भी तड़प उठी हुई थी साथ रहने की, जब मन किया जिस्म की आग एक दूसरे के स्पर्श से बुझा लेने की
हां मैं उसके साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहने लगी थी
जानते हैं क्यों? क्योंकि मैंने देखा, सुना कि देश के कई सारे पढ़े लिखे बुद्धिजीवी, अभिनेता, साहित्यकार आदि लिव इन को ही जीवन जीने का आधुनिक और बढ़िया तरीका बताते हैं।
मेरी मां इस अवैध रिश्ते का विरोध करती थी, क्योंकि लड़का दूसरे सम्प्रदाय का था। पर मुझे माँ की बातें फालतू और दकियानूसी लगती थीं। क्यों? क्योंकि देश के पढ़े लिखे लोग कहते तो हैं- जाति/धर्म तो बकवास बातें हैं।
विवाह के लिए जाति धर्म नहीं, दिल मिलना जरूरी होता है। उसका दिल मिल गया था, सो मैं उसी के साथ रहने लगी थी।
पिछले दिनों मां ने पुलिस केस किया था। पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा, तो मैं उसके बचाव में खड़ी हो गयी। बताने लगी कि मेरी माँ ही अत्याचारी है,
वही मुझे मारती-पीटती रहती है। इसी कारण मैं माँ को छोड़ कर अपने बाबू-सोना के साथ रहती हूं पुलिस क्या करती? छोड़ना पड़ा।
हाँ तो अब बात यह है कि एक दिन लड़के का मन भर गया। प्यार का बुखार चार दिन नहीं टिकता, तो नकली प्यार कितना टिकेगा? मन भर गया तो प्रेम मारपीट में बदल गया। लगभग रोज ही... एक दिन लड़के ने मुझे खूब मारा।
हाथ पैर बांध कर मारा... पूरे शरीर पर दाग हो गए तो दागों पर नमक छिड़क कर मारा... मिर्च पाउडर छिड़का यही वह प्रेम था जिसके लिए मैने ने मां को छोड़ा था।
अभी रुकिये। जब घाव पर मिर्च पाउडर पड़ता तो मैं चीख पड़ती थी। बताइये! कितनी बुरी बात है? कोई बेचारा प्रेम दिखा रहा है और मैं चीख रही हूं उसे गुस्सा नहीं आएगा? उसे गुस्सा आया। उसने मेरे होठों पर फेवीक्विक लगा दिया। होठ ही चिपक गए। अब चीख कि आवाजे नहीं निकलेगी ! टेंशने खतम... वाह! मोहब्बत जिन्दाबाद...
खैर! मैं हॉस्पिटल में हूं, और मेरे जख्मों पर मरहम वही बूढ़ी माँ लगा रही है, जिसे मैंने पुलिस के सामने बुरा बताया था। क्या करे, माँ है न।
लड़का जेल में है। जानते हैं पुलिस ने जब लड़के को पकड़ा तब वह क्या कर रहा था? वह शराब की तस्करी कर रहा था। 93 हजार की अवैध शराब के साथ पकड़ा गया हीरो।
इस पूरी कहानी में विलेन कौन है जानते हैं? क्या वह लड़का? नहीं जी। वह तो प्यादा है। वह वही कर रहा था जो उसे सिखाया गया था। अब जेल में सड़ेगा कुछ दिन, फिर निकल कर कहीं मजूरी करेगा। बुरी वह लड़की भी नहीं। सिनेमा के नशे में डूबी उस मूर्ख को कभी लगा ही नहीं कि वह जाल में फँस गयी है। उसे विलेन क्या कहेंगे। विलेन हैं वे धूर्त, जो खुद को बुद्धिजीवी बताते हुए लिविंग रिलेशनशिप को जायज ठहराते हैं, जो इसके लिए माहौल बनाते हैं। विलेन हैं वे लोग,
ऐसी घटनाओं की बार-बार, हजार बार चर्चा होनी चाहिये, ताकि यह देश की अंतिम लड़की तक पहुँचे। ऐसी घटनाओं की कोई खबर दिखे तो उसे हजार जगह शेयर कीजिये!