Isro के अध्यक्ष ने जो सुझाव दिया वो वाकई अत्यंत ही महत्वपूर्ण है और इसपर जल्द से जल्द मंदिर प्रबंधनों को ध्यान देना चाहिए। मंदिर केवल पूजा पाठ के लिए नहीं अपितु समाज को सही दिशा दिखाने के केंद्र होने चाहिए, जहां से संस्कृति, सभ्यता का संरक्षण हो जहां युवाओं को उचित ज्ञान दिया जाय, विभिन्न मुद्दों, समस्याओं पर चर्चा हो ताकि समाज में जो भी समस्या है उससे सभी अवगत भी हों और उसका समाधान भी निकाल सकें।
ISRO के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने मंदिरों में लाइब्रेरी बनाने की हिमायत की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल युवाओं को मंदिरों में लाने में मदद करेगी जहां वे स्टडी कर सकते हैं, कई मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और करियर को आगे बढ़ा सकते हैं। मंदिर केवल ऐसे स्थान नहीं होने चाहिए जहां बुजुर्ग भगवान का नाम जपने आएं, बल्कि इसे समाज में बदलाव लाने का स्थान बनना चाहिए। मंदिर प्रबंधन इस दिशा में काम करेगा तो इससे बड़े बदलाव आएंगे।
उन्होंने मंदिर प्रबंधन से युवाओं को मंदिरों की ओर आकर्षित करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया। पूर्व इसरो अध्यक्ष जी माधवन नायर से पुरस्कार प्राप्त करने के बाद एस सोमनाथ ने कहा कि मुझे इस पुरस्कार वितरण समारोह में बड़ी संख्या में युवाओं के आने की उम्मीद थी, लेकिन किसी तरह उनकी संख्या काफी कम है। मंदिर प्रबंधन को उन्हें मंदिरों की ओर आकर्षित करने की दिशा में काम करना चाहिए। मंदिरों में पुस्तकालय क्यों नहीं स्थापित किए जाते?
इसरो चीफ ने कहा कि इस तरह की पहल युवाओं को मंदिरों की ओर आकर्षित करने में मदद करेगी जहां वे पढ़ सकते हैं, शाम को विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं और अपने करियर को विकसित कर सकते हैं। सोमनाथ ने कहा, 'अगर मंदिर प्रबंधन इस दिशा में काम करते हैं, तो इससे बड़े बदलाव आएंगे।" समारोह में पूर्व मुख्य सचिव के जयकुमार और विधायक वी के प्रशांत भी शामिल हुए।

