🙏अमर बलिदानी , हुतात्मा नाथूराम गोडसे जिनकी अस्थियां आज भी सिंधु नदी में प्रवाहित होने की प्रतीक्षा कर रही हैं। जब अखंड भारत का स्वप्न साकार होगा तभी उनकी अस्थियां उनकी अंतिम इच्छा के अनुरूप "अखंड-भारत की सिंधु नदी" में प्रवाहित की जाएंगी
🙏ऐसे महान देशभक्त को उनके जन्मदिन पर हर राष्ट्रप्रेमी नमन करता है
🏺गोडसे की अस्थियां आज भी एक रियल एस्टेट कंपनी के दफ्तर में क्यों रखी हुई हैं?
🔫गांधी की हत्या के दोषी नाथूराम गोडसे से जुड़ी कई निशानियां आज भी पुणे के शिवाजी नगर इलाके में बने एक कमरे में रखी हुई है( गांधी की हत्या क्यों कि इसके लिए उनका अंतिम व्यक्तव्य सुने -यूटुब लिंक पोस्ट के अंत मे हैं )
🏛️कई दूसरी इमारतों की तरह पुणे की इस इमारत में भी रियल एस्टेट, वकालत और बीमा क्षेत्र से जुड़े ऑफिस हैं. लेकिन जो कमरा इसे खास बनाता है , वह पहली नजर में आम सा लगता है—किसी ऐतिहासिक चीज की मौजूदगी से ज्यादा स्प्रेडशीट और ब्लूप्रिंट जैसे कारोबारी शब्दों के लिए बना. लेकिन इसी कमरे में उस व्यक्ति के आखिरी अवशेष रखे हुए है जिसने गांधी को मारा था.
🏺यह आखिरी निशानी नाथूराम गोडसे का अस्थि कलश है. शीशे के एक केस में गोडसे के कुछ कपड़े और हाथ से लिखे नोट्स भी संभालकर रखे गए हैं. इसके पास ही एक टेबल पर गोडसे की एक तसवीर है. छरहरी काया और शांत आंखों वाली.
👉गांधी की हत्या के 72 साल बाद गोडसे से जुड़ी निशानियां शिवाजी नगर इलाके में बने जिस कमरे में रखी हैं वह अजिंक्य डेवलपर्स का दफ्तर है. इसके मालिक गोडसे के पोते अजिंक्य गोडसे हैं. द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह पूछने पर कि इस अस्थि कलश का विसर्जन क्यों नहीं किया गया, वे अपने पिता और नाथूराम के भाई गोपाल गोडसे के बेटे नाना गोडसे की तरफ इशारा करते हैं.
🙏जवाब आता है, ‘इन अस्थियों का विसर्जन सिंधु नदी में होगा और तभी होगा जब उनका अखंड भारत का सपना पूरा हो जाएगा.’
👉कुछ वर्षों पहले एक साक्षात्कार में नाथूराम गोडसे की भतीजी हिमानी सावरकर का कहना था, ‘इतिहास की किताबों ने आपको बताया है कि नाथूराम गोडसे एक सिरफिरा था-एक पागल जिसने गांधी को मार दिया. लेकिन हकीकत में वे कौन थे. वे एक पढ़े लिखे आदमी थे. एक अखबार के संपादक थे. वे एक देशभक्त थे. एक स्वतंत्रता सेनानी.’ हिमानी का भी अब निधन हो चुका है.
👉हिमानी सावरकर के मुताबिक नाथूराम गोडसे एक दिलचस्प शख्सियत थे. उनका कहना था, ‘वे एक संपादक थे जिनका सम्मान था. उस जमाने में उनके पास एक कार होती थी. लेकिन वही आदमी टेलर के रूप में आरएसएस की वर्दियां सिलने का काम भी करता था.’ उनका कहना था कि गोडसे गांधी के विचारों से असहमति रखते हुए भी उनका सम्मान करते थे. लेकिन अपने आखिरी उपवास के रूप में गांधीजी ने जो धोखा किया उसके लिए उन्हें दंडित करना पड़ा. हिमानी की मानें तो शांत स्वभाव के गोडसे को हिंसा पसंद नहीं थी, बल्कि खून देखकर ही वह शख्स घबरा जाता था.
👉हालांकि पुणे में ही इस से इत्तेफाक न रखने वाले भी कई हैं. 2003 में गांधीवादी कुमार सप्तर्षि ने गोडसे के समकालीन रहे कई लोगों से बात की थी. यह बातचीत उन्होंने अपनी पत्रिका सत्याग्रही विचारधारा के एक विशेष अंक के लिए की थी जो हिंदुत्व पर था.
👉 सप्तर्षि कहते हैं, ‘उनका कहना था कि गोडसे के दिमाग में एक बात बहुत गहरे घुसी हुई थी—हिंदू इसलिए पौरुषहीन हो गए क्योंकि वे हिंसक नहीं थे और गांधी की अहिंसा ने तो उन्हें और भी शक्तिहीन बना दिया.’
👉महात्मा गांधी की हत्या के जुर्म में 1949 में नाथूराम गोडसे को अंबाला जेल में फांसी हुई थी
👇गोडसे जी ने गांधी को क्यों मारा इसपर खुद हुतात्मा नाथूराम गोडसे जी का अंतिम व्यक्तव्य जरूर सुनें
https://www.youtube.com/watch?v=JICJ16Bm5No&lc=Ugz9tA3xeqLj50VMuxl4AaABAg
👉हिन्दुओं, स्व.नाथूराम गोडसे जी के समर्थन मात्र से तुम डर रहे हो,
वो तो अपने बच्चों का नाम भी गर्व से तैमूर रख रहे हैं...
🙏🚩🇮🇳🔱🏹🐚🕉️