चिराग पासवान ने बिहार में अंबेडकर की मूर्ति का माल्यार्पण किया। उसके बाद नफरत फैलाने वालों ने अंबेडकर की प्रतिमा को दूध से नहला दिया। 90के दशक के बाद उत्तर भारत में फैली इसी नफरती विचारधारा से हमारी लड़ाई है। ये जो लोग बाबासाहेब की मूर्ति को दूध से धोने की नौटंकी कर रहे हैं वो वास्तव में बाबासाहेब का अपमान कर रहे हैं
ये नफरत का जहर जो UP-बिहार जैसे राज्यों में बो दिया गया गया है वो कैंसर से कम नहीं। उसी जातीय नफरत के जहर को अब सोशल मीडिया में भी बोने का प्रयास किया जा रहा है। थोड़ा वक़्त जरूर लगेगा कि लेकिन इस बीमारी का इलाज होकर रहेगा। कथित दलित हित चिंतक केवल राजनीति के लिए बाबासाहेब के नाम का सहारा लेते हैं और हिंदुओं को आपस में लड़ाकर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकते हैं।