हम आजतक पंचरपुत्र बोलकर जो हंसी ठिठोली करते हैं यकीन मानिए इस आर्टशियल को पढ़ने के बाद आपको अफसोस होगा की हम जिनपर हंसी ठिठोली करते आए हैं उन्होंने तो पूरी पंचर इकोनॉमी खड़ी कर रखी है... इस पूरे गणित को समझेंगे तो पैरों तले से जमीन और सर आसमान गायब नजर आएगा
आइए जानते हैं पंचर के पीछे हो रहे षड्यंत्र को। हो सकता है शायद आपको यह जानकारी आश्चर्यचकित कर दें क्योंकि आज तक इसके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा और ना ही सोचने का समय है मगर मेरा काम है लिखने का एवं समाज के लोगों को प्रत्येक चीजों से अवगत कराना तथा उस पर प्रकाश डालना।
चलिए शुरू करते हैं…
भारत की कुल जनसंख्या 140 करोड़ के लगभग है और आज के समय में हर किसी के घरों में 1-2 (साइकिल से लेकर कार तक) वाहन होना स्वाभाविक है। ऐसे में हर नागरिक उसमे पेट्रोल, डीजल, सफाई, रंगाई-पुताई एवं इंटीरियर से लेकर सभी काम कराता है। और गाड़ी रोड़ पर चलती हैं तो पंचर भी होती है लेकिन क्या आप ने कभी ध्यान दिया कि हम जो पैसा दे रहे हैं वह कहां जा रहा है आइए हम आपको गणना करके बताते हैं।
भारत की कुल जनसंख्या 140 करोड़। (अनुमान)
औसतन 1 करोड़ पंचर/दिन (ज्यादा हो होते होंगे)
₹50/पंचर × 1करोड़/दिन
औसतन कुल देय राशि = 50,00,00,000
यह केवल 1 पंचर की गणना कर बताया है कभी-कभी 2-3 पंचर भी हो जाते हैं, और कभी-कभी पूरा टायर-ट्यूब तक बदलवाना पड़ जाता है। हवा का तो जोड़ा भी नहीं। 😊
इतना पैसा आप एक दिन में एक पंचारपुत्रों को देकर अपने घर, कामकाज को खुशी-खुशी निकल जाते हो (अधिकतर पंचरपुत्र कौन हैं है बताने की आवस्यकता बिलकुल नहीं हैं)। लेकिन खेल अब शुरू होता है।
अब ये जो पैसा कथित पंचरपुत हमसे कमाते हैं उस पैसे का प्रयोग कहां होता होगा ये आप स्वयं विचार करें क्योंकि यदि हमने कुछ लिखा तो उसी पैसे से हमारे खिलाफ खेला शुरू हो सकता है।
हमारी छोटी छोटी गलतियां, नजर अंदाज करने की आदत हमारे बच्चों के लिए खतरा बनता है इसलिए जरूरी है कि हम सतर्क रहें और समझें कि हमारे आस पास क्या चल रहा है और किस प्रकार एक जेहादी eco system कार्यरत है जो हमारी बच्चियों को लव जेहाद में फंसाना चाहता है जो हमारी संपत्ति हड़पना चाहता है, जो हमारे बच्चों को मार डालना चाहता है
जाता सोचिए कि इनको बढ़ावा कहाँ से मिल रहा है विचार कीजिए…? इन्हें बढ़ावा अपने ही हिन्दू समाज के लोग दे रहे हैं और स्वयं अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। तो गलत वह नहीं आप हो हम हैं। और अधिकतर 'लव-जिहाद' के केसों में यही छोटे-छोटे काम करने वाले होते हैं।
यह केवल पंचर जिहाद की गणना कर बताया है इसी प्रकार अन्य रोजगार भी है जिनसे जेहादियों को फंड जाता है प्रति वर्ष।
समधान तो बस एक ही है। #बहिष्कार
जागो हिन्दुओ जागो। 🙏🚩