सत्ता सिर्फ नेताओं की चहेती नहीं है बल्कि देश-आम जनता की आवाज़ होने का दम भरने वाले पत्रकारों की भी रही है और आगे भी रहेगी। क्योंकि सत्ता के पास है ऐशोंआराम, लग्जरी लाइफ स्टाइल ब्ला ब्ला। इसलिए पत्रकारिता सत्ता की हीरा मंडी है।
पत्रकारिता में सिर्फ वे ही पत्रकार निष्पक्ष हुए है जिन्हें वाक़ई सिस्टम बदलने व पारदर्शी बनाने का जुनून हो, ताकी आम लोगों को तकलीफ न पहुँचें। या उस समस्या से ये पत्रकार वर्ग गुजरा हो। निष्पक्ष पत्रकार तो मार दिये जाते है। बहुतेरी खबरें पढ़ने को मिलती है। खैर
निष्पक्ष पत्रकारों की सूची बहुत छोटी और सीमित रही है बाकी सभी सिस्टम से मिल लिये या मौकापरस्त रहते है। हवा का रूख देखकर चुनाव करते है।
जितने भी पत्रकार है जो राजनीतिक दलों को कवर करते है उनका सॉफ्ट एज, स्ट्रॉंगली उस दल को समर्पित होता है और जब तक पत्रकारिता में रहते है बखूबी निभाते है। बल्कि पार्टी लाइन के हिसाब से चलते हैं।
यू-ट्यूब पर वीडियो दिखा
चार पत्रकार बैठें है, एंकर को छोड़ दें। बाकी तीन पत्रकारों के पास निष्पक्षता दूर दूर तक न थी। एक कांग्रेस को कवर करते है तो दूसरे बीजेपी को, तीसरे माहौल के अनुरूप है।
बीजेपी वाले पत्रकार कहते है 310 सीट, कांग्रेस की तरफ झुकाव वाले 240 एनडीए 272, तीसरे ने कहा बीजेपी 303 प्लस।
दिलचस्प बात, कांग्रेस वाले जो है वे कमोबेश योगेन्द्र यादव के अंक गणित पर चल रहे है या कहे फॉलो कर रहे है। इन सभी के आँकलन दूसरों की रिपोर्ट यानी अपने अपने दलों के आधार पर है। तिस पर ये लोग चुनावी मैदान में नहीं गए। जबकि इनका प्रोफेशन पत्रकारिता है।
वर्तमान में पत्रकारिता में विमर्श चलता है।
गोदी मीडिया, और इसके रचियता है पीएम मोदी के घोर विरोधी पत्रकार वर्ग, नीतियाँ छोड़िए, निजी स्तर से भी अंदर तक जले हुए बैठें, काली पड़ी हुई है।
ये लोग किस अधिकार, हक से गोदी मीडिया की परिभाषा गढ़ गये, इनके कई ऐसे पत्रकार है जो टीवी डिबेट्स में वरिष्ठ पत्रकार लिखवाते है लेकिन कांग्रेस व विपक्ष के लिये निम्न स्तर पर उतर आते है और दूसरे पत्रकार को बीजेपी का प्रवक्ता करार देते फिरते है।
संदीप चौधरी को देखिए।
विपक्षी अपनी बात रखेंगे तो कोई डिस्टरबेंस नहीं करेंगे, जैसे ही बीजेपी के प्रवक्ता या समर्थक बोलेंगे तो सवाल का उत्तर सुनने से पहले दूसरा सवाल दाग देंगे बल्कि डिस्टर्ब करते रहेंगे। पिछले दिनों संगीत रागी ने धो दिया था। खैर।
संजय लीला भंसाली को हीरा मंडी का सीजन-2 बनाना चाहिए और हीरा मंडी-द ख़ान मार्केट गैंग टाइटल रखना चाहिए। उन लोगों को भी किरदार में रखें जो मौक़ा देखकर पाला बदल लेते है। अर्थात् उस्ताद😂
निष्पक्षता को भटकने मत देना, यक़ीन मानो संजू ब्लॉकबस्टर होगी।
#प्रोफेसरलेक्चर