" जिसकी जितनी संख्या भारी ..उतनी उसकी हिस्सेदारी "
क्या इस उक्ति में बहुसंख्यकवाद नहीं झलकता ?? यदि ये इस उक्ति में बहुसंख्यकवाद नहीं है...तो चुनावी घोषणापत्र में प्रयुक्त बहुसंख्यकवाद का अर्थ क्या है ??
और साथ साथ ये घोषणा कर देना ..कि देश में बहुसंख्यकवाद का कोई स्थान नहीं है ! क्या है इसका मतलब ??
और ये जो अल्पसंख्यक अल्पसंख्यक का नारा लगा रहे हैं...इसमें अल्पसंख्यक शब्द मात्र एक मुखौटा हैं... वास्तविक अर्थ उनका तुष्टिकरण वर्ग हैं !
और ..जिसे एक वोट बैंक में तब्दील कर दिया गया है। उसी को लुभाने में लगे रहते हैं !
बस इसी को ...थोड़ा मध्यकालीन शायराना अंदाज़ में कह दिया गया..." कि उनके सामने जाकर मुजरा करना हो तो करे "!
और क्यु न कहते ..हीरामंडी के प्रति दीवानगी देख कर...जान गये कि क्या टेस्ट हैं उनका !