कांग्रेसी तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार से त्रस्त बहुसंख्य हिंदुओं ने 2014 में मोदी जी के उग्र हिंदू छवि को अपनाया जरूर था, लेकिन शनैः शनैः उनमें से कुछ जन्मजातीश्रेष्ठतावादी,सामंती और स्वार्थी उच्च वर्गीय लोग मोदी के राष्ट्रवाद को पचा नहीं पाए,उन्हें उनकी मर्जी से चलाने वाला शासक चाहिए था,जिसे मोदी जी ने समाप्ति के करीब ला दिया...
जन्मजातीश्रेष्ठतावादी,सामंती और स्वार्थी उच्च वर्गीय वर्ग कभी नहीं चाहता की वर्षो से जिस शोषित वंचित पर राज करते आए है ओ सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक रूप से सशक्त हो।ये ऐसे लोग है जो अपनी श्रेष्ठता के लिय पूर्व की भांति धर्म भी बदल सकते हैं,इनके लिए हिंदू या राष्ट्रवाद प्रथम नही है बल्कि इनकी अहम और सामंती प्रवृति प्रथम है..
ये और कटरपंथी एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं।
इनके धुर्वीकरण और राजनीतिक ब्लैकमेल के विरुद्ध ओबीसी ,ST और SC मोदी जी से लगातार जुड़ता जा रहा है,वैसे भी बहुसंख्य उच्च वर्ग राष्ट्रवाद को प्रथम मानता है उसको समझता भी है..
सारांश ये है की कितना भी ये लोग हाथ पैर मार ले ,मोदी जी और उनकी विचारधारा दिन प्रति दिन और शक्तिशाली होते जाएंगे।