प्रधानमंत्री मोदी जी ने बहुत महत्त्वपूर्ण विषय उठाया कि रविवार की छुट्टी हिन्दुओं नहीं ईसाईयों से जुड़ी है। उन्होंने कहा है कि अंग्रेजों के समय ईसाइयों में सन्डे को पवित्र दिन मानते थे, इसलिए इस दिन छुट्टी घोषित की गई जिसका हिन्दू धर्म से कोई लेना देना नहीं है।
हिन्दुओं में समस्त शिक्षाक्षेत्र व कर्मचारी क्षेत्र की छुट्टी प्रतिपदा और अष्टमी की होती है क्योंकि इस दिन अनध्याय कहा गया है अर्थात् इस दिन पढ़ने लिखने से जुड़ा कार्य नहीं किया जाता। इससे इन क्षेत्रों में एक महीने में दो पक्षों में दो दो छुट्टी से महीने की कुल 4 छुट्टी हो जाती हैं।
हिन्दू शास्त्रों में सप्ताह का पहला दिन रविवार होता है न कि सोमवार, इसलिए पहले दिन ही छुट्टी करना हिन्दू दृष्टिकोण से तर्कसंगत नहीं है। शास्त्रों में रविवार को कई महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए शुभ बताया गया है। कहा गया है कि रविवार को राज्याभिषेक, उत्सव, वाहन क्रय-विक्रय, सेवा नौकरी, गौ, अग्नि कार्य (electricity), मन्त्र से सम्बन्धित कर्म, औषध (medical), शास्त्र (education), स्वर्ण, ताँबा, ऊन, चमड़ा, काष्ठ, युद्ध और व्यापार (bussiness) से सम्बन्धित कार्य करना चाहिए। चित्रकला, धातुकला, आभूषण निर्माण, बाजार सम्बन्धी कार्य भी रविवार को करना चाहिए।
पर रविवार को छुट्टी होने से यह सभी कार्य बाधित हो जाते हैं। व्यापार, खरीद फरोख्त, शिक्षा, मेडिकल जैसे तमाम कार्यों पर अंकुश लग जाता है, जो हिन्दू मुहूर्त्त की दृष्टि से उचित नहीं है। मुहूर्त्त होने पर भी इस दिन कार खरीद, मकान रजिस्ट्री जैसी बड़ी चीजें नहीं हो पातीं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि समुदाय विशेष के तुष्टिकरण के लिए मांग की गई कि रविवार की जगह शुक्रवार की छुट्टी की जाए। हिन्दू सिद्धांतों के अनुसार तो यह और भी बुरा है क्योंकि शुक्रवार सभी कार्यों के लिए बहुत शुभ होता है, वह सारे कार्य ठप्प करना ठीक नहीं है।
श्रम व व्यापार जगत की छुट्टी अमावस्या की होती है, आज भी सम्पूर्ण भारतवर्ष में श्रमक्षेत्र में प्रायः अमावस्या का अवकाश रहता है।
धीरे धीरे अन्य क्षेत्रों में भी ऐसी पहलें हो सकती हैं।
मोदी जी के मन में यह सूक्ष्म हिन्दू दृष्टिकोण बसा है,
उनके चिंतन में यह बातें भी हैं, यह कोई छोटी बात नहीं है, उसे सबके सामने रखना और भी महत्वपूर्ण बात है। उनके चिंतन में बसा हिन्दुत्व बहुत श्रेष्ठ रूप में सामने आता रहता है।