2014 में मोदी सरकार सत्ता में आती है। पता चलता है कि 21 सरकारी बैंकों में से 11 की हालत डूबने की कगार की हो गयी है। RBI इन्हें मोनिटरिंग पर डालता है। सरकार को बताया जाता है कि अपने बाप का माल समझ पैसा बांट दिया गया।
NPA 14.5% हो चुका था। मोदी जी को कहा गया कि आप श्वेतपत्र ले आइये वरना ये बैंक डूब गए तो इन्हें डुबाने वाले चोर सारा ठिकड़ा आप पर फोड़ देंगे कि ये सत्ता में आया और इसने बैंक डूबा दिए।
लेकिन मोदी जी मना करते हैं। कहते हैं कि बैंकों की ऐसी हालत जान, खाता धारक से लेकर भारत मे निवेश करने वाले घबरा जाएंगे और पैसा खींचना शुरू कर देंगे। बैंकों के बाहर लाइन लग जायेंगीं।
बाजार में उथलपुथल मच जाएगी। कुल मिलाकर अराजक माहौल बन जाएगा और अर्थव्यवस्था जो पहले ही दुनिया की फ्रेजाइल(कमजोर) फाइव में थी, वो डिफ़ॉल्ट की कगार पर पहुंच जाएगी।
इसलिए अब इस समस्या से बाहर आने को खाका बनना शुरू होता है।
पता लगता है कि बैंकों की सबसे बड़ी समस्या है कि उसका कैपिटल बहुत कम बचा है। जो पैसा लोन दिया वो तो फंस ही रहा है, बल्कि बड़े नोट भी बैंकों के बाहर से ही अपनी समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहे हैं। ये नोट बैंकिंग सिस्टम में वापिस आ ही नही रहे हैं। इस वजह से बैंक दिन प्रतिदिन लॉस दिखा रहे हैं। NPA वसूलने का भी कोई सख्त कानून नही है। ना ही ऐसे लोगों की सम्पत्ति जब्त करवाने का। इसके उलट एक अलग खेल चल रहा था कि लोन चुकाने को नया लोन लिया जा रहा था ताकि बैलेंस शीट सही दिखाई जा सके। हालत ये थी कि 2015-16 में जो बैंक 11 हजार करोड़ का घाटा दिखा रहे थे.. खंगालने के बाद उनका घाटा 2017-18 में 85 हजार करोड़ हो गया।
अब सरकार फैसला लेना शुरू करती है। इसी बीच नोटबन्दी होती है। जितने भी ये समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहे थे इनको मजबूरन अपना पैसा बैंकों में डालना पड़ता है। बहुत से जो कालाधन और नकली नोट से अर्थव्यवस्था चला रहे थे जिसमें सबसे बड़ा खेल बेनामी संपत्ति और गोल्ड में खेला जा रहा था वो बर्बाद होते हैं। अचानक दोनों की कीमत भी 20-25% गिर जाती है। सरकार 3.38 लाख शेल कम्पनी सीज कर डालती है जो ये पैसा घुमा रही थी। मतलब जो पैसा बैंकों में अलग अलग माध्यम से नोटबन्दी के बाद डाला गया उसे बैंक जब्त कर देते हैं।
इसके साथ ही सरकार 3 लाख करोड़ से ज्यादा का बैंकों को केपिटल देती है ताकि जो वो ICU में थे वो अपने पैरों पर खड़े हो सकें। मोदी सरकार इंद्रधनुष कानून लेकर आती है जिसमें 7 तरह के कानून थे जैसे दिवालिया कानून, सम्पत्ति जब्त कानून, गारंटर के रिकॉर्ड, भगोड़ों पर गैर जमानती वारंट निकलते ही देश-विदेश में उनकी सम्पत्ति कुर्क आदि।
साथ ही 100 करोड़ से ज्यादा का लोन देने पर बैंकों को RBI को सूचित करना होगा। RBI अब बैंकों की समय समय पर मोनिटरिंग करता है। जनता के पैसों को सुरक्षित रखने को 1 लाख की गारंटी को 5 लाख कर दिया गया जिससे 97% जनता का बैंकों का पैसा अब सुरक्षित हो जाता है।
अब इससे क्या बदला..??
आज सरकारी बैंक जिनका घाटा 2017-18 में 85 हजार करोड़ हो गया था वो इसके उलट 2021-2022 में 66 हजार करोड़ का लाभ दिखा गये। और 2022-23 का अनुमान बैंकों का 1 लाख करोड़ का लाभ होने का है। जो NPA तब 14.5% चला गया था वो घटकर 4.5% पर आ गया है। करीब 8 लाख करोड़ की NPA वसूली इस सरकार ने अब तक की है। बैंकों का मार्केट कैप जो 2018 में 4.5 लाख करोड़ था वो 2022 में 10.5 लाख करोड़ हो गया है।
इसके अलावा जिन माल्या, नीरव, चौकसी जैसों की बात होती है जिन्हें इन भ्रष्टाचारी कांग्रेसियों ने पैसा बांटा था उनका भी कुल 90% से ज्यादा पैसा वसूल है और बाकी पर काम चल रहा है। भ्रष्टाचारी तो ये भी नही बताएंगे कि माल्या कैसे अपने हर प्लेन में फर्स्ट क्लास की सीटें राजमाता के लिए 24/7 बुक रखता था और चौकसी कैसे राजीव गांधी ट्रस्ट में डोनेशन दिया करता था। कैसे यस बैंक वाला राणा कपूर पिंकी की फ्रॉड पेंटिंग करोड़ो में खरीदता था जो एक तरह की रिश्वत होती थी जिससे उसको फिर लोन मिल सके और ये बात आतंकी और हवाला फंडिंग देखने वाले FATF ने तक बताई है जिसने इतने साल पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला हुआ था। इस तरह ये भगोड़े और NPA वाले लोग फाइव स्टार होटलों में कांग्रेसी भ्रष्टाचारीयो को बुला पार्टियां करवा, इनसे फोन बैंकिंग करवा एक फोन पर हजारों करोड़ का लोन सैंक्शन करवा लेते थे।
और आज मजे की बात देखिए कि ये कांग्रेसी , आज उसी सरकार को बैंक बर्बाद कर दिये, LIC बर्बाद कर दी कहते हैं, जिन्होंने दिवालिया होने की कगार पर पहुंचे बैंकों को वापिस निकाला, वो भी बिना किसी आरोप प्रत्यारोप के क्योंकि यदि ये सरकार भी बेशर्म होती तो पहले राजनिति करने के लिए इन्हें नंगा करती कि जिस मनमोहन को बड़ा महान और ईमानदार अर्थशास्त्री बताते हो उसके नजर के नीचे बैंक बर्बाद हो गए थे। बाकी के 12 लाख करोड़ के घोटाले तो छोड़ ही दो जो 10 साल में किये गए थे।
मगर सरकार के लिए देश पहले था नाकि राजनीति.. उसके लिए लोगों की आर्थिक सुरक्षा और निवेश सुरक्षित रहना पहले था नाकि अपना फायदा। आज जो हम टॉप 5 अर्थव्यवस्था बने हैं वो यूंही हवा में नही बने हैं। आज जो 15 लाख करोड़ का बजट बढ़कर 42 लाख करोड़ का हुआ है वो ऐसे ही नहीं हुआ है। आज जो भी पैसा होता है वो जनता के लिए होता है। लाखों करोड़ का पैसा सीधे जनता के खातों में चला जाता है बिना 1 रुपया इधर उधर हुए जिसे राजीव गांधी कहता था कि 1 रुपये भेजता हूँ तो 85 पैसा बिचौलियों के पास चला जाता है। आज यदि किसी चीज पर टैक्स लिया जा रहा है तो वही पैसा घूमकर आपके लिए 100% खर्च किया जा रहा है, फिर वो फ्री राशन हो, आपके लिए घर-टॉयलेट-बिजली-नल-गैस आदि हो, किसान सम्मान निधि हो, आयुष्मान भारत योजना हो, फसल बीमा हो या 10 लाख करोड़(इसी साल के बजट में) का इंफ्रा आपके लिए बनाया जा रहा हो।
यही इन भ्रष्टाचारीयो की पीड़ा है कि कितना कुछ इनका छीन लिया गया है।
कोविड जैसा अवसर आया था जिसमें लाखो करोड़ का घोटाला करने को मिलता लेकिन यहां तो न वैक्सीन पर विदेशी दलाली खाने दी और न घोटाला करने का मौका मिल सका। हथियारों के लाखों करोड़ के सौदे हो रहे हैं और ये दलाली नही खा पा रहे हैं।
विदेशों में जमा पैसा भी फंसा पड़ा है लेकिन निकाल नही सकते। व्यापारी भी अब हफ्ता नही देते, अम्बानी-अडानी को चोर बता भी बात नही बन पा रही है कि उद्योगपति डरकर इन्हें फाइनेंस कर दें।
न सोरोस खुश है और न चीन खुश है कि चोरों पर इतना निवेश करने के बाद भी जनता को ये अपने पाले में नही ला पा रहे हैं।
हर तरह से इनकी श्वास नली टाइट की हुई है।