वाराणसी के ज्ञानवापी ढांचे के नीचे एक तहखाना है। यह तहखाना सदैव हिन्दुओ के पास रहा है। इसके दक्षिण भाग में मंदिर है। सदैव से भक्तगण इस मंदिर में जाते रहे है और भगवान की पूजा अर्चना में भाग लेते हैं।
वर्ष 1993:
उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की सरकार आ गयी। सुरक्षा के नाम पर इस तहखाना को बंद कर दिया गया। इसके दरवाजे पर ताला जड़ दिया गया और इसके चारो ओर barricading कर दी गयी। कैसा दुर्भाग्य था कि भूतल पर मस्जिद में नमाज पढ़ी जाती थी पर उसी के तहखाना में ताले में बंद भगवान के विग्रह उपेक्षित धूल खाते रहे।
वर्ष 2023:
वाराणसी के सिविल जज के यहाँ एक मुकदमा दायर हुआ जिसमें यह प्रार्थना की गयी कि तहखाना में काशी विश्वनाथ ट्रस्ट के द्वारा नियुक्त पुजारी के द्वारा भगवान की नियमित पूजा अर्चना की अनुमति दी जाये।
शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2023:
माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह मुकदमा जिला न्यायाधीश वाराणसी की अदालत में स्थानांतरित कर दिया।
बुधवार, 31 जनवरी 2024:
जिला न्यायाधीश वाराणसी ने एक अंतरिम आदेश के द्वारा प्रशासन को आदेश दिया कि सभी बाधाएं दूर कर के तहखाने के मंदिर में पूजा शुरू कराई जाये। प्रशासन ने आवश्यक फुर्ती से काम करते हुए उसी रात्रि में सब व्यवस्थाएं करके, सभी अवरोध हटा कर पूजा शुरू करवा दी।
सोमवार, 26 फरवरी 2024:
अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की कमेटी ने इस फैसले के खिलाफ इलाहबाद उच्च न्यायालय में याचिका दी। एक महीने से भी कम समय में यानी 26 फरवरी 2024 को उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनकर इंतजामिया कमेटी की याचिका को ख़ारिज कर दिया।
सोमवार, 1 अप्रैल 2024:
इंतजामिया कमेटी दौड़कर सर्वोच्च न्यायालय गयी। सुनवाई हुई। सर्वोच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनकर कहा कि भूतल पर मुसलमान नमाज़ पढ़ते है तो तयखाने में हिन्दुओं की पूजा बंद क्यों करवानी चाहिए। मस्जिद का रास्ता उत्तर दिशा से है और तहखाने का दक्षिण से। दोनों समुदाय अपने-अपने स्थान पर अपनी धार्मिक रीति से पूजन करते है। सर्वोच्च न्यायालय ने नीचे की अदालतों के निर्णयों पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
सारांश:
आदि विश्वेश्वर के मूल स्थान पर उनकी व अन्य देवताओं की पूजा अबाध चलेगी। यह सत्य की जीत है, धर्म की जीत है :