1 प्रहर = सूर्योदय से सूर्यास्त तथा सूर्यास्त से सूर्योदय तक के काल का चौथा भाग।
1 चौघड़िया = सूर्योदय से सूर्यास्त अथवा सूर्यास्त से सूर्योदय तक के समय का आठवाँ भाग ।
1 होरा = सूर्योदय से सूर्यास्त अथवा सूर्यास्त से सूर्योदय तक के काल का बारहवाँ भाग ।
1 प्रहर = अनुमानतः तीन घंटे, 1 चौघड़िया अनुमानतः डेढ़ घंटा और 1 होरा अनुमानतः १ घंटा होता है। परन्तु ऋतु परिवर्तन के कारण दिन या रात लम्बाई में छोटी या बड़ी होने के आधार पर प्रहर, चौघड़िया और होरा क्रमशः तीन, डेढ़ और 1 घण्टे से थोड़ा कम या अधिक वह भी मिनटों में हो सकता है।
काल की ईकाई की वर्तमान में प्रचलित माप के साथ में तुलना कीजिए ।
वर्तमान के प्रचलित माप इस प्रकार है।
1 दिन = 24 घण्टे
1 घण्टे = 60 मिनट
1 मिनट = 60 सैकण्ड
1 सैकण्ड = 60प्रति सैकण्ड
भारत वर्ष की परम्परा के अनुसार 1 दिन (अहोरात्र) के 30 मुहूर्त अथवा 60 घड़ी होती है। इस प्रकार 24 घंटों के 30 मुहूर्त अथवा 60 घड़ी होती है। इसकी तुलना ऐसे होगी ।
60 घड़ी = 24 घंटे
2½ घड़ी = 1 घण्टा = 60 मिनट
1 घड़ी = 24 मिनट
2 घड़ी = 1 मुहूर्त 48 मिनट
1 घड़ी की 24 मिनट के आधार पर गिनती करने पर जान सकते हैं कि 1 मिनट 20,25000 त्रुटि होती है। और 1 सैकण्ड में 33,750 त्रुटि होगी। देखा, समय का कितना सूक्ष्म नाप है ? सैकण्ड का भी 33,750 वाँ भाग है त्रुटि। वास्तव में आश्चर्य में डालने वाली बात है।
त्रुटि, तत्पर, निमेष आदि काल की सूक्ष्म इकाइयाँ हैं। उसी प्रकार से काल की अन्य इकाइयाँ तथा कालगणना की अन्य विविध पद्धतियों का अस्तित्व भारत वर्ष में अलग अलग समय में, अलग अलग क्षेत्रों और प्रदेशों में और विविध परम्पराओं में था। भारत के प्राचीन ग्रन्थों में इसकी क्रमबद्ध जानकारी दी हुई है।
भारत वर्ष की परम्पराओं में काल की अविभाज्य ईकाई 'समय' है। समय का विभाजन सम्भव नहीं है, इसके टुकड़े नहीं हो सकते । एक समय का नाप इतना अधिक सूक्ष्म है कि इन्द्रियों से अथवा भौतिक साधनों से उसे जाना नहीं जा सकता। केवल अतीन्द्रिय ज्ञान से ही उसे जाना जा सकता है।
100 त्रुटि = 1 तत्पर
30 तत्पर = 1 निमेष
18 निमेष = 1 काष्ठा
30 काष्ठा = 1 कला
30 कला = 1 घड़ी
2 घड़ी = 1 मुहूर्त
30 मुहूर्त = 1 अहोरात्र (दिन और रात)
15 अहोरात्र = 1 पक्ष (पखवाड़ा)
2 पक्ष = 1 महीना
2 महीने = 1 ऋतु
3 ऋतु = 1 अयन (छ: मास)
2 अयन = 1 वर्ष
12 वर्ष = 1 तप
100 वर्ष = 1 शतक अथवा सदी
30 तप = 360 वर्ष = 1 दिव्य वर्ष