राहुल गांधी मोहब्बत की दुकान खोलने चले थे लेकिन झूठ की दुकान खोल रहे हैं, एक तरफ जनता से ऐसे ऐसे वादे कर रहे हैं जो वास्तव में वो पूरे करेंगे हो नहीं और यदि पूरे करना का प्रयास भी करेंगे तो देश को पाकिस्तान की तरह एक कंगाल राष्ट्र बना देंगे। दूसरी तरफ ये जनता को झूठ बोलकर गुमराह कर रहे हैं। अब राष्ट्रपति जी और राम मंदिर को लेकर बड़ा झूठ कहा जिसे लेकर चुनाव आयोग को कार्यवाही करनी चाहिए।
राहुल गांधी ने बस्तर, छत्तीसगढ़ की भोली भाली जनता को बरगलाते हुए दावा किया की राम मंदिर के उद्घाटन में राष्ट्रपति जी को आमंत्रित नहीं किया गया क्योंकि वो आदिवासी है.. जबकि ये पूरी तरह झूठ है, क्योंकि राष्ट्रपति जी को निमंत्रण भी दिया गया और उन्होंने इस महापर्व की शुभकानाएं देते हुए ट्विटर पर एक पत्र भी साझा किया। लेकिन झूठे और फरेबी लोगों को तो देश की जनता को गुमराह करके बस वोट लेने हैं... इसलिए जनता को सावधान रहना चाहिए तथा इनके झूठ की पोल खोलनी चाहिए
राहुल गाँधी ने झूठा दावा किया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में बुलाया ही नहीं गया था, जबकि राष्ट्रपति मुर्मू को राम मंदिर ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से आमंत्रित किया गया था। राहुल गाँधी ने शनिवार (13 अप्रैल 2024) को ये दावा किया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अनुसूचित जनजाति का होने की वजह से राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया था।
छत्तीसगढ़ के बस्तर में रैली के दौरान राहुल गाँधी ने अपने भाषण के 34.50 मिनट पर दावा किया कि “राम मंदिर का उद्घाटन हुआ, हिंदुस्तान की राष्ट्रपति, आदिवासी हैं- उनको कहा गया कि आप राम मंदिर के इनोग्रेशन में नहीं आ सकती। मना कर दिया उनको। राष्ट्रपति को मना कर दिया, क्यों? क्योंकि वो आदिवासी थी। सिर्फ ये कारण, आदिवासी को राम मंदिर के इनोग्रेशन में हम नहीं आने देंगे, ये मोदी जी ने देश को मैसेज दिया।“
राहुल गाँधी ने न सिर्फ बेशर्मी ने राष्ट्रपति को लेकर झूठा दावा किया, बल्कि थेथरई पर उतरते हुए उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मैसेज भी बता दिया।
सच्चाई यह है कि राष्ट्रपति मुर्मू को राम मंदिर ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने वाले एक प्रतिनिधिमंडल ने अयोध्या में अभिषेक समारोह में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से आमंत्रित किया था।
इस साल 12 जनवरी को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता राम लाल और राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा के एक प्रतिनिधिमंडल द्वारा निमंत्रण दिया गया था।
हालाँकि राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा था कि वह जल्द ही अयोध्या आने का समय तय करेंगी। उन्होंने 21 जनवरी को राष्ट्रपति ने राम मंदिर उद्घाटन समारोह की सराहना की थी और मंदिर को हकीकत में बदलने के लिए प्रधानमंत्री को हार्दिक शुभकामनाएं भी भेजी थीं। उन्होंने एक्स पर पत्र भी साझा किया था।
राष्ट्रपति ने राम मंदिर के उद्घाटन से पहले अपने संबोधन में पीएम मोदी द्वारा किए गए ‘माँ शबरी’ के जिक्र की भी सराहना की थी। एक तरफ तो राहुल गाँधी राष्ट्रपति को न बुलाने का झूठा दावा कर रहे हैं, बल्कि प्रधानमंत्री का नाम लेकर समाज में घृणा फैलाने का भी कार्य कर रहे हैं। ऐसे में देखना ये है कि चुनाव आयोग क्या इस मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर कोई कार्रवाई करता है या नहीं।
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