अपने सिर के बालों को खुला छोड़कर रखना श्रेष्ठ नहीं माना गया है। इसलिए पुरुष और स्त्रियों को अपनी चोटी बांधकर रखनी चाहिए।
खुले केशों में अलक्ष्मी का निवास माना गया है।
शास्त्रानुसार खुले केश छोड़ना ही अशुभ है इस पर भी एक प्रचलन और स्त्रियों में बढ़ रहा है कि वे अपने केश खुले ,रूखे तथा पीले/लाल रंग में रंगने लग गई हैं।
बालों को पीला/लाल रंगना साक्षात् अलक्ष्मी का चिन्ह है। (बाल स्वयं पक जाएं अलग बात है )
लक्ष्मी की बड़ी बहन अलक्ष्मी का यही स्वरूप बताया गया है--
उद्दालकाय मुनये सुदीर्घतपसे तदा ॥ आप्तवाक्यानुरोधेन तामलक्ष्मीं ददौ किल । स्थूलोष्ठीं शुक्लवदनां विरूपां बिभ्रतीं तनुं ॥ खवदारक्तनयनां #रूक्षपिङ्गशिरोरुहां ।
स मुनिर्विष्णुवाक्यात्तामङ्गीकृत्य स्वमाश्रमम्
शास्त्र में कुलधर्म के अनुसार ही केशों को व्यवस्थित करना चाहिए-
#कुलधर्म्मं केशवेशान् कारयेत्” ।
केशों को सजाने की कला के कारण ही द्रौपदी/सैरन्ध्री को विराट राज्य में आश्रय मिला था --
#साहं ब्रुबाणा सैरिन्ध्री कुशला केशकर्म्मणि”
युद्ध में भी केशों को पकड़ना/ सिर पर प्रहार करना वर्जित माना गया है--
#केशग्रहान् प्रहारांश्च शिरस्येतान् विवर्ज्जयेत्” मनुः
क्रोध में एक दूसरे के केश पकड़ने की भी मनाही है--
#कोपेन केशग्रहणप्रहारौ शिरसि वर्ज्जयेत् कोपनिमित्तत्वादात्मनः परस्य च प्रतिषेधः ।
सुरतक्रीडा में इससे छूट है-
अतएव सुरतसमये कामिनीकेशग्रहस्यानिषेधः” कुल्लू० ।
कादम्बरी में भी ऐसा ही भाव है--
“रतेषु केशग्रहाः” कादम्बरी
तदन्यत्र बाल बिखेरना को श्मसान जैसा कहा गया है --
#विकीर्णकेशासु प्रेतभूमिषु” कुमार ०
बिखरे बाल दक्षिण दिशा में गमन मृत्युतुल्य अपशकुन है-
#मुक्तकेशो हसंश्चैव गायन्नृत्यंश्च यो नरः। याम्याशाभिमुखो गच्छेत्तदन्तं तस्य जीवितम् ।।
बिखरे बाल होने पर शुभ स्वप्न का भी फल अशुभ हो जाता है--
#जडो मूत्रपुरीषेण पीडितश्च भयाकुलः ।
दिगम्बरो मुक्तकेशो न लभेत् स्वप्नजं फलम् ॥
खुले बाल होने से यज्ञ/व्रत/दान आदि का भी फल नहीं मिलता है-
#उष्णीषी कंचुकी नग्नो मुक्तकेशो गलावृतः । अपवित्रकरोऽशुद्धः प्रलयन्न जपेत्क्कचित्।
#होमविशेषो गोभिलीये न मुक्तकेशो जुहुयान्नातिपातितजानुकः।
अतः जागरूक अपने आसपास कुलीन स्त्रियों को सही मार्ग दिखाएं।
(नोट- यह लेख केवल कुलीन स्त्रियों के लिए है)
🚩 हर हर महादेव 🚩