ASI की रिपोर्ट आज सबके सामने आ गई और ASI की रिपोर्ट के साथ ही सामने आया वो सच जिसे मुस्लिम पक्ष लगातार छुपा रहा था। रिपोर्ट कहती है की जहां आज कथित मस्जिद है वहां मस्जिद बनने से पहले भव्य मंदिर था। यानी दुष्ट मुगल आक्रांताओं ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर इससे मस्जिद बनाई थी। अब हिंदुओं को उनका मंदिर आपस मिलना चाहिए।
आओ अब आओ और निभाओ भाईचारा, सौंप दो हिंदुओं को उनका मंदिर और करने दो बाबा विश्वनाथ की पूजा। आखिर कब तक झूठ बोलोगे? अब जल्द ही अयोध्या की तरह काशी भी आजाद होगी और काशी में भी वहीं भव्य मंदिर बनेगा जहां प्राचीन शिवलिंग है। अब जब सारे साक्षय सामने हैं तो हिंदुओं को उनका मंदिर सौंप देना चाहिए। क्योंकि आज नहीं तो कल सौंपना तो पड़ेगा ही
Opindia की रिपोर्टज्ञानवापी की ASI रिपोर्ट आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील हरि शंकर जैन ने कहा है कि वो लोग अब सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे। उनका कहना है कि रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि उस ढाँचे की जगह हिंदू मंदिर था। सरकार को उसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना चाहिए।
वकील हरि शंकर जैन ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि (ज्ञानवापी मस्जिद) स्थल पर एक मंदिर मौजूद था। भारत सरकार को इस मामले में आगे कदम उठाते हुए इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना चाहिए और कानून पारित कर पूरा क्षेत्र हिंदुओं को सौंप देना चाहिए।”
वहीं वकील विष्णु जैन एएसआई की रिपोर्ट की मुख्य लाइनें पढ़कर पूछते हैं कि क्या एएसआई ने जो अपनी रिपोर्ट दी है, जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि मंदिर तोड़कर उस ढाँचे को खड़ा किया गया था और उसी का मलबा उस ढाँचे में लगा था, तो क्या कोई इस्लामिक स्कॉलर ये बात कह सकता है कि ये सही हुआ था?
वह कहते हैं कि मस्जिद तो वक्फ की जमीन पर बनता है और वक्फ की जमीन वो होती है जो मुस्लिमों ने अपने पैसों से खरीदी हो। वहीं हिंदू धर्म के अनुसार ये बात साफ है कि एक बार अगर बार मंदिर के लिए बनाई जगह हमेशा मंदिर की ही जगह रहेगी और अंत तक सिर्फ ये मंदिर की ही प्रॉपर्टी होगी।
विष्णु जैन इस मामले में हिंदू पक्ष का पाला भारी बताते हुए कहते हैं कि राम मंदिर के समय तो खुदाई के बाद सबूत मिले कि वो जगह राम जन्मभूमि ही है लेकिन यहाँ तो ढाँचा खुद ही गवाही दे रहा है कि वो हिंदू मंदिर है। ढाँचे की पश्चिमी दीवार पर लगे हिंदू चिह्न भी यही बता रहे हैं कि हिंदू मंदिर की दीवार है किसी उस ढाँचे का भाग नहीं। खंभे भी यही कह रहे हैं कि वो हिंदू मंदिर के खंभे हैं।
विष्णु जैन कहते हैं, “सारे सबूत हमारे केस को मजबूत बनाते हैं कि हमारे धर्मस्थल पर, हमारे मंदिर पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा कब्जा किया गया है। हमारे मंदिर को मस्जिद की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है।”
उन्होंने कहा कि एएसआई का जो सर्वे हुआ है वो वजू खाने को छोड़कर हुआ है। उनकी यह माँग कि वजू खाने का भी एएसआई सर्वे हो, अभी सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। अंजुमन इंतेजामिया ने जाकर कोर्ट में कहा है कि वजू खाने के सर्वे पर रोक लगे। उन्होंने कहा कि इसी सर्वे में ढाँचे से बहुत सारे देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिली हैं।
क्या-क्या प्रमाण मिले सर्वे में?
गौरतलब है कि ज्ञानवापी ढाँचे पर ASI की 839 पेज की रिपोर्ट से साफ हुआ है कि ज्ञानवापी ढाँचे की जगह कभी बड़ा हिंदू मंदिर था। इसके प्रमाण वहाँ के खंभों, दीवारों और शिलापट से मिले हैं।
दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है। वहीं भगवान शिव के 3 नाम दीवारों पर लिखे मिले हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर।ढाँचे के सारे खंभे भी गवाही दे रहे हैं कि वह पहले मंदिर का हिस्सा थे उन्हें मॉडिफाई करके वहाँ नए ढाँचे में शामिल किया गया। ढाँचे की पश्चिमी दीवार से भी पता चलता है कि वो मंदिर की दीवार है। दीवार के नीचे 1 हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं। कुछ खंबों से हिंदू चिह्नों को मिटाने के भी प्रमाण मिले हैं। इसके अलावा हनुमान जी और गणेश जी की खंडित मूर्तियाँ, दीवार पर त्रिशूल की आकृति भी मिली हैं। साथ ही तहखाने में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिलीं।