मकर संक्रांति को कई नामों से जाना जाता है जैसे उत्तरायण, पोंगल, तिल संक्रांत और माघ बीहू
सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहते हैं। सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है।
मकर शनि की राशि है और पुत्र की राशि में पिता का प्रवेश पुण्यवर्द्धक होने से साथ-साथ पापों का भी विनाशक है।
सूर्य का दक्षिणायन से उत्तरायन हो जाना एक पुण्य पर्व है क्योंकि उत्तरायन देवताओं का दिन माना जाता है। अतः इस दिन से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।
मकर संक्रांति के दिन ही गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जाकर मिली थीं।
महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का ही चयन किया था।
कहा जाता है कि इस दिन दिए गए दान का फल अक्षय होता है। तिल और गुड़ का दान करने से धन लाभ होता है और मान-सम्मान में वृद्धि होती है। इस दिन अनाज का दान करना भी बेहद शुभ फलदाई माना गया है।🛕जय सनातन धर्म 🚩