VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 08 श्लोक 28
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया सुबह 07:59 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक - 29 दिसम्बर 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शिशिर
⛅मास - पौष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - पुष्य 30 दिसम्बर प्रातः 03:10 तक
⛅योग - वैधृति रात्रि 02:29 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
⛅राहु काल - सुबह 11:21 से 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 07:20
⛅सूर्यास्त - 06:04
⛅दिशा शूल - दक्षिण
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:33 से 06:26 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:15 से 01:08 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान-स्थल की महत्ता🔹
🔸कमरे में पूर्व व उत्तर दिशा के बीचवाले कोने से कमरे की पूर्वी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग व उत्तरी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग लेकर जो आयताकार स्थल बनता है, वह ‘ईशान-स्थल’ कहलाता है । १२ X १८ के कमरे का ईशान-स्थल ४ X ६ का होगा । खुले भूमिखंड के विषय में भी ऐसे ही समझना चाहिए ।
🔹सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल🔹
🔸सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।
🔹सुख-समृद्धि में वृद्धि हेतु🔹
🔸भूमिखंड के ईशान कोण तथा पूर्व एवं उत्तर दिशा में खाली भाग अधिक होना चाहिए और इन भागों में अपेक्षाकृत वजन में हलके व कम ऊँचाईवाले पेड़-पौधे लगाने चाहिए । भूमिखंड के ईशान-स्थल में तुलसी, बिल्व व आँवला लगाना सुख-समृद्धिकारक है ।
🔹ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु🔹
🔸विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।
🔸सायटिका का इलाज🔸
🔹 लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें । पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से सायटिका में लाभ होता है ।
🔹निर्गुण्डी के 40 ग्राम हरे पत्ते अथवा 15 ग्राम सूखे पत्ते एवं 5 ग्राम सोंठ को थोड़ा कूटकर 350 ग्राम पानी में उबालें । 60-70 ग्राम पानी शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पीने से सायटिका में लाभ होता है ।
🌹अनमोल युक्तियाँ 🌹
🔸उत्तम संतान के लिए : घर में देशी गाय की सेवा अच्छा उपाय है ।
🔸यम के भय से मुक्ति : शिव पुराण व स्कंद पुराण में कहा गया है कि गौ-सेवा करने और सत्पात्र को गौ-दान करने से यम का भय नहीं रहता ।
🔸पाप – ताप से मुक्ति : जब गायें जंगल से चरकर वापस घर को आती है, उस समय को गोधूलि-वेला कहा जाता है । गाय के खुरों से उठनेवाली धूलराशि समस्त पाप–तापों को दूर करनेवाली है ।
🔸ग्रहबाधा – निवारण : गायों को नित्य गोग्रास देने तथा सत्पात्र को गौ-दान करने से ग्रहों के अनिष्ट – निवारण में मदद मिलती है ।
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