ना बड़े बड़े वानरों सा शक्तिशाली तन बदन
ना गिलहरी सी समपर्ण त्याग कर्मयोगभक्ति सी लगन
ना राम के करकमलों से स्पर्शित पाषण
बस हम तो थे बालू के महीन महीन से कण
जीस पर भी थी अंतर्यामी पालनहार की सूक्ष्मदर्शी नजर
हम बालू के महीन महीन कण हा हम बालू के महीन महीन कण
जय श्रीराम