गीता अध्याय 09 श्लोक 02
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी दोपहर 11:55 तक तत्पश्चात पंचमी
⛅दिनांक - 31 दिसम्बर 2023
⛅दिन - रविवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शिशिर
⛅मास - पौष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मघा पूर्ण रात्रि तक
⛅योग - प्रीति 01 जनवरी प्रातः 03:41 तक
⛅राहु काल - शाम 04:44 से 06:05 तक
⛅सूर्योदय - 07:20
⛅सूर्यास्त - 06:05
⛅दिशा शूल - पश्चिम
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:34 से 06:27 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 01:09 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - अंग्रेज़ी नववर्ष प्रारम्भ
⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹आरोग्यप्रदायक मंत्र 🔹
☀️सूर्य मंत्र☀️
गर्मी से उत्पन्न शारीरिक रोग, बुद्धि की विकलता ( उन्माद, पागलपन) अथवा दुर्वलता, दृष्टी-रोग, अग्नि-तत्त्व की विषमता, शरीर में जलन आदि हो तो इनके निवारण के लिए सूर्य मंत्र है । किसी भी अमावस्या को ४० बार जप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है :
ॐ नमोऽस्तु दिवाकराय अग्नितत्त्वप्रवर्धकाय शमय शमय शोषय शोषय अग्नितत्त्वं समतां कुरु कुरु ॐ ।।
🔸चन्द्र मंत्र🔸
शीत से उत्पन्न वायु-प्रधान रोगों में चन्द्र मंत्र से लाभ होता है मंत्र है :
ॐ चन्द्रो में चान्द्रमसान् रोगानपहरतु । औषधिनाथाय वै नम: ।
ॐ स्वात्मसम्बन्धिन: सर्वत: सर्वरोगान् शमय शमय तत्रैव पातय पातय । शक्तिं चोद्भावयोद्भावय ।।
किसी पर्व अथवा पुण्य दिवस पर चन्द्र मंत्र का २०० बार ( दो माला ) जप करने से मंत्र सदा के लिए सिद्ध हो जाता है । और अगर चन्द्रग्रहण के समय जप कर लिया जाय तो केवल २०-२५ बार जप करनेमात्र से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है ।
मंत्रसिद्धि के बाद इनमें से जिस मंत्र की आवश्यकता हो उसका पानी में देखते हुए ५, ७ या ११ बार जप करें । यह अभिमंत्रित जल रोगी को स्पर्श कराने , लगाने, पिलाने और उससे स्नान कराने से भी बहुत लाभ होगा ।
इन मंत्रों का उपयोग अपने परिचितों, हितैषियों के लिए भी कर सकते हैं, अपने लिए भी कर सकते हैं ।
🔹 रविवार विशेष🔹
🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🔹 रविवार के दिन आँवला, मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)
🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)
🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।
🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।
🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना एवं पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।
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