VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 7 श्लोक 26
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा दोपहर 02:05 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक - 28 नवम्बर 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - मार्गशीर्ष
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रोहिणी दोपहर 01:31 तक तत्पश्चात मृगशिरा
⛅योग - सिद्ध रात्रि 10:04 तक तत्पश्चात साध्य
⛅राहु काल - दोपहर 03:10 से 04:32 तक
⛅सूर्योदय - 07:02
⛅सूर्यास्त - 05:53
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:16 से 06:09 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:01 से 12:54 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹मार्गशीर्ष मास :- ( 28 नवम्बर से 26 दिसम्बर 2023 )
🌹 मार्गशीर्ष मास की माहात्म्य 🌹
🌹श्रीमद्भगवद्गीता में अपनी विभूतियों का वर्णन करते हुए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि "मासानां मार्गशीर्षो अहम्" सभी महीनों में मार्गशीर्ष मेरा ही स्वरूप है ।
👉 मार्गशीर्ष मास में कपूर का दीपक जला के भगवान को अर्पण करनेवाला अश्वमेध यज्ञ का फल पाता है और कुल का उद्धार कर देता है ।
👉 मार्गशीर्ष मास में विष्णुसहस्त्र नाम, श्रीमद्भागवत गीता और गजेन्द्रमोक्ष पाठ की खूब महिमा है । इन तीनों का पाठ अवश्य करें ।
👉 इस मास में अपने गुरु को, इष्ट को " ॐ दामोदराय नमः " कहते हुए प्रणाम करने की बड़ी भारी महिमा है ।
👉 जो उपासक मार्गशीर्ष के महीने में शंख में तीर्थ का जल लेकर उसकी एक बून्द से भी मुझे नहलाता है, वह अपने समूचे कुल को तार देता है ।
👉 जो मार्गशीर्ष मास में भक्ति पूर्वक शंख ध्वनि कर के मुझे स्नान कराता है, उसके पितर स्वर्गलोक में प्रतिष्ठित होते हैं ।
👉 जो शंख में जल लेकर “ॐ नमो नारायणाय'' का उच्चारण करते हुए मुझे नहलाता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है ।
👉 जो तुलसी काष्ठ का धिसा हुआ चन्दन मुझे अर्पण करता है, उसके सौ जन्मों के समस्त पातकों को मैं भस्म कर देता हूँ ।
👉 जो कलियुग के मार्गशीर्ष मास में मुझे तुलसी काष्ठ का चन्दन देते है, वे निश्चय ही कृतार्थ हो जाते हैँ । जो शंख में चन्दन रखकर मार्गशीर्ष मास में मेरे अंगो में लगाता है, उसके ऊपर मैं विशेष प्रेम करता हूँ ।
👉 जो मार्गशीर्ष में तुलसीदल ओर आँवलों से भक्ति पूर्वक मेरी सेवा करता है, वह मनोवांछित फल को पाता है ।
👉 जो शंख में फूल, जल और अक्षत रखकर मुझे अर्घ्य देता है उसे अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है ।
👉 जो वैष्णव मेरे मस्तक पर शंख का जल घुमाकर उसे अपने घर में छिड़कता है उसके घर में कुछ भी अशुभ नहीं होता ।
👉 मृदंग और शंख की ध्वनि तथा प्रणव (ॐकार) के उच्चारण के साथ किया हुआ मेरा पूजन मनुष्यों को सदैव मोक्ष प्रदान करनेवाला है । (स्कन्द पुराण, वैष्णव खंड)
🔹शंख के कुछ स्वास्थ्य – प्रयोग🔹
🔹पूज्य बापूजी शंख के स्वास्थ्य-हितकारी प्रयोग बताते हुए कहते हैं : “कोई बच्चा तोतला अथवा गूँगा है तो शंख में पानी रख दो । सुबह का रखा हुआ पानी शाम को, शाम का रखा हुआ पानी सुबह को ५० – ५० मि.ली. उस बच्चे को पिलाओ और उसके गले में छोटा-सा शंख बाँध दो । १ – २ चुटकी ( ५० से १०० मि.ग्रा. ) शंख भस्म शहद के साथ सुबह-शाम चटाओ तो वह बच्चा बोलने लग जायेगा । शंख भस्म अन्य कई रोगों में भी एक प्रभावकारी औषधि है ।
🔹गर्भिणी स्त्री शंख का पानी पिये तो उसके कुटुम्ब में २-४ पीढ़ियों तक तोतला – गूँगा बच्चा नहीं पैदा होगा । यह हमारे भारत की खोज है, पाश्चत्य विज्ञानियों की खोज नहीं है । गूँगे और तोतले व्यक्ति को शंख फायदा करता है और शंख-ध्वनि वातावरण को शुद्ध करती है इतना ही नहीं, दूसरे भी बहुत सारे फायदे बताये गये हैं । जहाँ लोगों का समूह इकट्ठा होता है वहाँ शंखनाद पवित्र, सात्विक माना जाता है ।
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