VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 7 श्लोक 19
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🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - नवमी रात्रि 01:09 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक - 21 नवम्बर 2023
⛅दिन - मंगलवार
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - हेमंत
⛅मास - कार्तिक
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 08:01 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
⛅योग - व्याघात शाम 05:41 तक तत्पश्चात हर्षण
⛅राहु काल - दोपहर 03:10 से 04:32 तक
⛅सूर्योदय - 06:57
⛅सूर्यास्त - 05:54
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:12 से 06:05 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:00 से 12:52 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - आँवला-अक्षय नवमी, साँईं लीलाशाहजी महाराज महानिर्वाण दिवस, श्री रंग अवधूत महाराज जयन्ती
⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है ।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹 21 नवम्बर - 2023, अक्षय-आँवला नवमी 🌹
🌹आँवला नवमी के दिन जप, दान, तर्पण आदि का अक्षय पुण्य होता है ।
🌹इस दिन कपूर या घी के दीपक से आँवला वृक्ष के समीप दीपदान करें तथा निम्न मंत्र बोलते हुए प्रदक्षिणा करें -
यानि कानि च पापानि जन्मान्तरक्रतानि च ।
तानि सर्वाणि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे ।।
🌹आँवले के वृक्ष के नीचे जप तथा भोजन करें ।
🌹आँवला नवमी के दिन किया गया जप-ध्यान आदि पुण्यकर्म अक्षय होता है, इस कारण इसको ‘अक्षय नवमी’ भी कहते हैं ।
🌹 हमारे पूजनीय वृक्ष - आँवला 🌹
🌹 आँवला खाने से आयु बढ़ती है । इसका रस पीने से धर्म का संचय होता है और रस को शरीर पर लगाकर स्नान करने से दरिद्रता दूर होकर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
🌹 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं ।
🌹 मृत व्यक्ति की हड्डियाँ आँवले के रस से धोकर किसी भी नदी में प्रवाहित करने से उसकी सद्गति होती है ।
(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, का.मा. 12.75)
🌹 प्रत्येक रविवार, विशेषतः सप्तमी को आँवले का फल त्याग देना चाहिए । शुक्रवार, प्रतिपदा, षष्ठी, नवमी, अमावस्या और सक्रान्ति को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🔹आँवला सेवन के बाद 2 घंटे तक दूध नहीं पीना चाहिए ।
🔹अंबाला के औषधीय प्रयोग 🔹
🔹१] जिन्हें भोजन में अरुचि हो या भूख कम लगती हो उन्हें भोजन से पहले २ चम्मच आँवला रस में १ चम्मच शहद मिलाकर लेना लाभकारी है ।
🔹२] नाक, मूत्रमार्ग, गुदामार्ग से रक्तस्राव, योनिमार्ग में जलन व अतिरिक्त रक्तस्राव, पेशाब में जलन, रक्तप्रदर, त्वचा-विकार आदि समस्याओं में आँवला रस अथवा आँवला चूर्ण दिन में दो बार लेना लाभदायी है ।
🔹३] आँवला रस में ४ चुटकी हल्दी मिलाकर दिन में दो बार लें । यह सभी प्रकार के प्रमेहों में श्रेष्ठ औषधि है ।
🔹४] अम्लपित्त, सिरदर्द, सिर चकराना, आँखों के सामने अँधेरा छाना, उलटी होना आदि में आँवला रस या चूर्ण मिश्री मिलाकर लेना फायदेमंद है ।
🔹५] रक्ताप्लता या पीलिया जैसे विकारों में आँवला चूर्ण का दिन में २ बार उपयोग करने से रस-रक्त का पोषण होकर इन विकारों में लाभ होता है ।
🔹६] आँवला एवं मिश्री का मिश्रण घी के साथ प्रतिदिन सुबह लेने से असमय बालों का सफेद होना व झड़ना बंद हो जाता है तथा सभी ज्ञानेन्द्रियों की कार्यक्षमता बढ़ती है ।
🔹सेवन- मात्रा : आँवला चूर्ण – २ से ५ ग्राम, आँवला रस – १५ से २० मि.ली.
🔹ध्यान दें : रविवार व शुक्रवार को आँवले का सेवन वर्जित है ।
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