VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 21
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह 06:34 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक - 06 अक्टूबर 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - आश्विन
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - आर्द्रा रात्रि 09:32 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅योग - परिघ 07 अक्टूबर प्रातः 05:31 तक तत्पश्चात शिव
⛅राहु काल - सुबह 10:59 से 12:28 तक
⛅सूर्योदय - 06:33
⛅सूर्यास्त - 06:23
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:44 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:04 से 12:52 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - अष्टमी का श्राद्ध, जीवित्पुत्रिका व्रत
⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹श्राद्ध में शंका करने का परिणाम व श्रद्धा करने से लाभ🔹
🌹बृहस्पति कहते हैं- "श्राद्धविषयक चर्चा एवं उसकी विधियों को सुनकर जो मनुष्य दोषदृष्टि से देखकर उनमें अश्रद्धा करता है वह नास्तिक चारों ओर अंधकार से घिरकर घोर नरक में गिरता है ।
🌹जो मनुष्य इस श्राद्ध के माहात्म्य को नित्य श्रद्धाभाव से, क्रोध को वश में रख, लोभ आदि से रहित होकर श्रवण करता है वह अनंत कालपर्यंत स्वर्ग भोगता है । समस्त तीर्थों एवं दानों को फलों को वह प्राप्त करता है-। स्वर्गप्राप्ति के लिए इससे बढ़कर श्रेष्ठ उपाय कोई दूसरा नहीं है ।
🌹आलस्यरहित होकर पर्वसंधियों में जो मनुष्य इस श्राद्ध-विधि का पाठ सावधानीपूर्वक करता है वह मनुष्य परम तेजस्वी संततिवान होता और देवताओं के समान उसे पवित्रलोक की प्राप्ति होती है ।
🔹प्रकृति अनुसार विहार🔹
🔹वात प्रकृति🔹
🔹त्याज्य : अति परिश्रम, अति व्यायाम, सतत अध्ययन, अधिक बोलना, अधिक पैदल चलना अथवा वाहनों में घूमना, तैरना, अति उपवास, रात्रि जागरण, भय, शोक, चिंता, मल-मूत्र आदि वेगों को रोकना, पश्चिम दिशा से आनेवाली हवा का सेवन ।
🔹हितकर : सर्वांग मालिश (विशेषतः सिर व पैर की), कान-नाक में तेल डालना, आराम, सुखशीलता, निश्चिंतता व शांत निद्रा ।
🔹पित्त प्रकृति 🔹
🔹त्याज्यः तेज धूप में घूमना, अग्नि के निकट रहना, रात्रि जागरण, अति परिश्रम, अति उपवास, क्रोध, शोक, भय ।
🔹हितकर : शीत, सुगंधित द्रव्यों (जैसे चंदन, अगरु) का लेप, शीत तेलों से मालिश ।
🔹कफ प्रकृति🔹
🔹त्याज्य : दिन में शयन, आरामप्रियता, आलस्य ।
🔹हितकर : घूमना-फिरना, दौड़ना, तैरना, व्यायाम, आसन, प्राणायाम ।
( त्रिदोष सिद्धांत पृ.क्र. ४)
🔹सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल🔹
🔹सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।
🔹ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु🔹
🔹विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।
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