यह महामन्त्र है, अर्थ ज्ञान सहित इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।
◆ श्रीकृष्ण : हे प्रभो! आप सभी के मन को आकर्षित करने वाले हैं, अतः आप मेरा मन भी आकर्षित कीजिए।
◆ गोविंद : (गो- इन्द्रिय, विन्द- समूह) इन्द्रियों के रक्षक भगवन् ,आप मेरी इन्द्रियों को अपने ध्यान में लीन करें।
◆ हरे : हे दुःख हर्ता , मेरे दुःखों का हरण करें।
◆ मुरारी : हे मुर राक्षस के विजेता , मेरे मन में बसे काम क्रोधादि रा क्षसों का वध कीजिए।
◆ हे नाथ : आप नाथ हैं और मैं आपका सेवक।
◆ नारायण : मैं नर हूँ आप नारायण हैं।
◆ वासुदेव : वसु का अर्थ है प्राण। हे प्रभु मेरे प्राणों की रक्षा करें, मैने अपना मन आपके चरणो में अर्पित कर दिया।