VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ५ कर्मसन्यास योग श्लोक 21
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - नवमी शाम 05:30 तक तत्पश्चात दशमी
⛅दिनांक - 08 सितम्बर 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - भाद्रपद
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - मृगशिरा दोपहर 12:19 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅योग - सिद्धि रात्रि 10:07 तक तत्पश्चात व्यतिपात
⛅राहु काल - सुबह 11:04 से दोपहर 12:37 तक
⛅सूर्योदय - 06:24
⛅सूर्यास्त - 06:51
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 01:01 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - नंद महोत्सव, गोगा नवमी
⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹व्यतिपात योग🔹
🔸समय अवधि : 08 सितम्बर रात्रि 10:07 से 09 सितम्बर रात्रि 10:36 तक
🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण
🔹 आचमन तीन बार क्यों ?🔹
🔹 प्राय: प्रत्येक धर्मानुष्ठान के आरम्भ में और विशेषरूप से संध्योपासना में ३ बार आचमन करने का शास्त्रीय विधान है । धर्मग्रंथों में कहा गया है कि ३ बार जल का आचमन करने से तीनों वेद अर्थात ऋग्वेद, यजुर्वेद व सामवेद प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं । मनु महाराज ने भी कहा है : त्रिराचमेद्प: पूर्वम । (मनुस्मृति :२.६०)
🔹अर्थात सबसे पहले ३ बार जल से आचमन करना चाहिए । इससे जहाँ कायिक, मानसिक एवं वाचिक–त्रिविध पापों की निवृत्ति होती है वहीँ कंठशोष ( कंठ की शुष्कता) दूर होने और कफ-निवृत्ति होने से श्वास-प्रश्वास क्रिया में मंत्रादि के शुद्ध उच्चारण में भी मदद मिलती है । प्राणायाम करते समय प्राणनिरोध से स्वभावतः शरीर में ऊष्मा बढ़ जाती है, कभी-कभी तो ऋतू के तारतम्य से तालू सूख जाने से हिचकी तक आने लग जाती है । आचमन करते ही यह सब ठीक हो जाता है ।
🔹बोधायन सूत्र के अनुसार आचमन-विधि :🔹
🔹(दायें) हाथ की हथेली को गाय के कान की तरह आकृति प्रदान कर उससे ३ बार जल पीना चाहिए ।
🔹शास्त्र-रीति के अनुसार आचमन में चुल्लू जितना जल नहीं पिया जाता बल्कि उतने ही प्रमाण में जल ग्रहण करने की विधि है जितना कि कंठ व तालू को स्पर्श करता हुआ हृदयचक्र की सीमा तक ही समाप्त हो जाय ।
🔹संध्या में आचमन किया जाता है । इस आचमन से कफ-संबंधी दोषों का शमन होता है, नाड़ियों के शोधन में व ध्यान-भजन में कुछ मदद मिलती है ।
🔹 ध्यान-भजन में बैठे तो पहले तीन आचमन कर लेने चाहिए, नहीं तो सिर में वायु चढ़ जाती है, ध्यान नहीं लगता, आलस्य आता है, मनोराज चलता है, कल्पना चलती है । आचमन से प्राणवायु का संतुलन हो जाता है ।
🔹आचमन से मिले शान्ति व पुण्याई🔹
🔹 'ॐ केशवाय नम: । ॐ नारायणाय नम: । ॐ माधवाय नम: ।' कहकर जल के ३ आचमन लेते हैं तो जल में जो यह भगवदभाव, आदरभाव है इससे शांति, पुण्याई होती है ।
🔹इससे भी हो जाती है शुद्धि🔹
🔹जप करने के लिए आसन पर बैठकर सबसे पहले शुद्धि की भावना के साथ हाथ धो के पानी के ३ आचमन ले लो । जप करते हुए छींक, जम्हाई या खाँसी आ जाय, अपानवायु छूटे तो यह अशुद्धि है । वह माला नियत संख्या में नहीं गिननी चाहिए । आचमन करके शुद्ध होने के बाद वह माला फिर से करनी चाहिए । आचमन के बदले ‘ॐ’ सम्पुट के साथ गुरुमंत्र ७ बार दुहरा दिया जाय तो भी शुद्धि हो जायेगी । जैसे, मन्त्र है ‘नम: शिवाय’ तो ७ बार ‘ॐ नम:शिवाय ॐ’ दुहरा देने से पड़ा हुआ विघ्न निवृत्त हो जायेगा ।
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