VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 15
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा दोपहर 12:21 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅दिनांक - 30 सितम्बर 2023
⛅दिन - शनिवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - आश्विन
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - रेवती रात्रि 09:08 तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅योग - ध्रुव शाम 04:27 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅राहु काल - सुबह 09:30 से 11:00 तक
⛅सूर्योदय - 06:31
⛅सूर्यास्त - 06:28
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:43 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:06 से 12:54 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - द्वितीया का श्राद्ध
⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)
🌹महालय श्राद्ध🌹
🔸पितृपक्ष : 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023
🔸 30 सितम्बर 2023, शनिवार - द्वितीय का श्राद्ध
🔹श्राद्धयोग्य तिथियाँ (भाग -२)🔹
🔹द्वितिया को श्राद्ध करने वाला व्यक्ति राजा होता है ।
🔹उत्तम अर्थ की प्राप्ति के अभिलाषी को तृतिया विहित है। यही तृतिया शत्रुओं का नाश करने वाली और पाप नाशिनी है ।
🔹जो चतुर्थी को श्राद्ध करता है वह शत्रुओं का छिद्र देखता है अर्थात उसे शत्रुओं की समस्त कूटचालों का ज्ञान हो जाता है ।
🔹पंचमी तिथि को श्राद्ध करने वाला उत्तम लक्ष्मी की प्राप्ति करता है ।
🔹जो षष्ठी तिथि को श्राद्धकर्म संपन्न करता है उसकी पूजा देवता लोग करते हैं ।
🔹जो सप्तमी को श्राद्धादि करता है उसको महान यज्ञों के पुण्यफल प्राप्त होते हैं और वह गणों का स्वामी होता है ।
🔹जो अष्टमी को श्राद्ध करता है वह सम्पूर्ण समृद्धियाँ प्राप्त करता है ।
🔹नवमी तिथि को श्राद्ध करने वाला प्रचुर ऐश्वर्य एवं मन के अनुसार अनुकूल चलने वाली स्त्री को प्राप्त करता है ।
🔹दशमी तिथि को श्राद्ध करने वाला मनुष्य ब्रह्मत्व की लक्ष्मी प्राप्त करता है ।
🔹एकादशी का श्राद्ध सर्वश्रेष्ठ दान है। वह समस्त वेदों का ज्ञान प्राप्त कराता है । उसके सम्पूर्ण पापकर्मों का विनाश हो जाता है तथा उसे निरंतर ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
🔹द्वादशी तिथि के श्राद्ध से राष्ट्र का कल्याण तथा प्रचुर अन्न की प्राप्ति कही गयी है ।
🔹त्रयोदशी के श्राद्ध से संतति, बुद्धि, धारणाशक्ति, स्वतंत्रता, उत्तम पुष्टि, दीर्घायु तथा ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है ।
🔹चतुर्दशी का श्राद्ध जवान मृतकों के लिए किया जाता है तथा जो हथियारों द्वारा मारे गये हों उनके लिए भी चतुर्दशी को श्राद्ध करना चाहिए ।
🔹अमावस्या का श्राद्ध समस्त विषम उत्पन्न होने वालों के लिए अर्थात तीन कन्याओं के बाद पुत्र या तीन पुत्रों के बाद कन्याएँ हों उनके लिए होता ह । जुड़वे उत्पन्न होने वालों के लिए भी इसी दिन श्राद्ध करना चाहिए ।
🔹सधवा अथवा विधवा स्त्रियों का श्राद्ध आश्विन (गुजरात-महाराष्ट्र के मुताबिक भाद्रपद) कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि के दिन किया जाता है ।
🔹बच्चों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है ।
🔹दुर्घटना में अथवा युद्ध में घायल होकर मरने वालों का श्राद्ध कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को किया जाता है ।
🔹जो इस प्रकार श्राद्धादि कर्म संपन्न करते हैं वे समस्त मनोरथों को प्राप्त करते हैं और अनंत काल तक स्वर्ग का उपभोग करते हैं । मघा नक्षत्र पितरों को अभीष्ट सिद्धि देने वाला है । अतः उक्त नक्षत्र के दिनों में किया गया श्राद्ध अक्षय कहा गया है । पितृगण उसे सर्वदा अधिक पसंद करते हैं ।
🔹जो व्यक्ति अष्टकाओं में पितरों की पूजा आदि नहीं करते उनका यह जो इन अवसरों पर श्राद्धादि का दान करते हैं वे देवताओं के समीप अर्थात् स्वर्गलोक को जाते हैं और जो नहीं करते वे तिर्यक्(पक्षी आदि अधम) योनियों में जाते हैं ।
🔶 रात्रि के समय श्राद्धकर्म निषिद्ध है । (वायु पुराणः 78.3)
🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹
🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)
🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)
🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹
🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।
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