VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय 6 श्लोक 10
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प्रशासक समिति ✊🚩
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - दशमी सुबह 07:55 तक तत्पश्चात एकादशी (क्षय तिथि)
⛅दिनांक - 25 सितम्बर 2023
⛅दिन - सोमवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - भाद्रपद
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा सुबह 11:55 तक तत्पश्चात श्रवण
⛅योग - अतिगण्ड दोपहर 03:23 तक तत्पश्चात सुकर्मा
⛅राहु काल - सुबह 08:00 से 09:30 तक
⛅सूर्योदय - 06:29
⛅सूर्यास्त - 06:34
⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:41 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:08 से 12:55 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी (स्मार्त)
⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🌹पद्मा-परिवर्तिनी एकादशी 🌹
🔸एकादशी 25 सितम्बर सुबह 07:55 से 26 सितम्बर प्रातः 05:00 तक ।
🔸व्रत उपवास 26 सितम्बर 2023 मंगलवार को रखा जायेगा ।
🔹25 एवं 26 सितम्बर दो दिन चावल खाना और खिलाना निषेध है ।
🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸
👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
🔹संध्या के समय वर्जित कार्य🔹
👉 संध्या के समय व्यवहार में चंचल नहीं होना चाहिए ।
👉 भोजन आदि खानपान नहीं करना चाहिए ।
👉 संध्या के समय बड़े निर्णय नहीं लेने चाहिए ।
👉 पठन-पाठन, शयन नहीं करना चाहिए ।
👉खराब स्थानों में घूमना नहीं चाहिए ।
👉संध्या के समय स्नान न करें ।
👉संध्या के समय स्त्री का सहवास न करें ।
👉 संध्याकाल अथवा प्रदोषकाल (सूर्यास्त का समय) में भोजन से शरीर में व्याधियाँ उत्पन्न होता है ।
👉 श्मशान आदि खराब स्थानों में घूमने से भय उत्पन्न होता है ।
👉 दिन में एवं संध्या के समय शयन आयु को क्षीण करता है ।
👉 पठन- पाठन करने से वैदिक ज्ञान और आयु का नाश होता है ।
👉 संध्या के समय स्त्री-सहवास करने से आसुरी, कुसंस्कारी अथवा विकलांग संतान उत्पन्न होती है । यदि संतान नहीं हुई तो दम्पती को कोई खतरनाक बीमारी हो जाती है, जिससे वे बेचारे उम्रभर रोते रहते हैं ।"
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