GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ५ कर्मसन्यास योग श्लोक 13
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पूर्णिमा सुबह 07:06 तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅दिनांक - 31 अगस्त 2023
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - श्रावण
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - शतभिषा शाम 05:45 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
⛅योग - सुकर्मा शाम 05:16 तक तत्पश्चात धृति
⛅राहु काल - दोपहर 02:15 से 03:49 तक
⛅सूर्योदय - 06:21
⛅सूर्यास्त - 06:58
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:36 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:03 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - श्रावणी पूर्णिमा, संस्कृत दिवस, गायत्री जयंती
⛅विशेष - पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38/34)
🔸श्रावणी पूर्णिमा - 31 अगस्त 2023🔸
🔸रक्षा सूत्र बाँधने का शुभ मुहूर्त🔸
31 अगस्त प्रातः 3:32 से 4:54 तक - ब्रह्म मुहूर्त लाभ चौघड़िया
31 अगस्त सुबह 6:21 से 7:06 तक - शुभ अमृत चौघड़िया
🔹अन्नपूर्णा प्रयोग🔹
🔹प्रति पूर्णिमा को घर के अन्न-भंडार के स्थान पर कपास तेल का दीपक जलायें । इसके प्रभाव से घर की रसोई में बहुत बरकत होती है । यह अन्नपूर्णा प्रयोग है ।
🔸संतरा - फलों द्वारा स्वास्थ्य-रक्षा🔸
🔹यह सुपाच्य, क्षुधा व उत्साहवर्धक तथा तृप्तिदायी है ।
🔸निम्नलिखित सभी प्रयोगों में संतरे के रस की मात्रा : ५० से १०० मि.ली. दिन में २ बार लें ।
👉 (१) संतरे व नींबू का रस (१० मि.ली.) हृदय की दुर्बलता व दोष मिटानेवाला है ।
👉 (२) संतरे के रस में उतना ही नारियल पानी पेशाब की रुकावट दूर कर उसे स्वच्छ व खुल के लानेवाला है ।
👉 (३) शहदसंयुक्त संतरे का रस हृदयरोगजन्य सीने के दर्द, जकड़न व धड़कन बढ़ाने में लाभदायी है ।
👉 (४) संतरे के रस के साथ स्वादानुसार पुदीना, अदरक व नींबू का रस पेट के विकारों (उलटी, अरुचि, उदरवायु, दर्द व कब्ज आदि) में विशेष लाभकारी है ।
👉 (५) संतरे का रस व १० ग्राम सत्तू अत्यधिक मासिक स्राव व उसके कारण उत्पन्न दुर्बलता में लाभदायी है । सगर्भावस्था में इसका नियमित सेवन करने से प्रसव सुलभ हो जाता है ।
🔹गुरुवार विशेष 🔹
🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।
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