GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ५ कर्मसन्यास योग श्लोक ०३
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी 24 अगस्त प्रातः 03:31 तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅दिनांक - 23 अगस्त 2023
⛅दिन - बुधवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - शरद
⛅मास - श्रावण
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - स्वाती सुबह 08:08 तक तत्पश्चात विशाखा
⛅योग - ब्रह्म रात्रि 09:45 तक तत्पश्चात इन्द्र
⛅राहु काल - दोपहर 12:42 से 02:18 तक
⛅सूर्योदय - 06:19
⛅सूर्यास्त - 07:06
⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:49 से 05:34 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:20 से 01:05 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - शरद ऋतु प्रारम्भ, संत तुलसीदासजी जयंती
⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹शरद ऋतु में कैसे करें स्वास्थ्य की रक्षा ?🔹
🔸(शरद ऋतु : 23 अगस्त से 23 अक्टूबर 2023 तक)
🔸शरद ऋतु में ध्यान देने योग्य महत्त्वपूर्ण बातें :
🔹(1) रोगाणां शारदी माता । रोगों की माता है यह शरद ऋतु । वर्षा ऋतु में संचित पित्त इस ऋतु में प्रकुपित होता है । इसलिए शरद पूर्णिमा की चाँदनी में उस पित्त का शमन किया जाता है ।
🔹इस मौसम में खीर खानी चाहिए । खीर को भोजनों में ‘रसराज’ कहा गया है । सीता माता जब अशोक वाटिका में नजरकैद थी तो रावण का भेजा हुआ भोजन तो क्या खायेगी, तब इन्द्र देवता खीर भेजते थे और सीताजी वह खाती थी ।
🔹(2) इस ऋतु में दूध, घी, चावल, लौकी, पेठा, अंगूर, किशमिश, काली द्राक्ष तथा मौसम के अनुसार फल आदि स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं । गुलकंद खाने से भी पित्तशामक शक्ति पैदा होती है । रात को (सोने से कम-से-कम घंटाभर पहले) मीठा दूध घूँट-घूँट मुँह में बार-बार घुमाते हुए पियें । दिन में 7-8 गिलास पानी शरीर में जाय, यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है ।
🔹(3) खट्टे, खारे, तीखे पदार्थ व भारी खुराक का त्याग करना बुद्धिमत्ता है । तली हुईं चीजें, अचारवाली खुराक, रात को देरी से खाना अथवा बासी खुराक खाना और देरी से सोना स्वास्थ्य के लिए खतरा है क्योंकि शरद ऋतु रोगों की माता है । कोई भी छोटा-मोटा रोग होगा तो इस ऋतु में भड़केगा इसलिए उसको बिठा दो ।
🔹(4) शरद ऋतु में कड़वा रस बहुत उपयोगी है । कभी करेला चबा लिया, कभी नीम के 10-12 पत्ते चबा लिये । यह कड़वा रस खाने में तो अच्छा नहीं लगता लेकिन भूख लगाता है और भोजन को पचा देता है ।
🔹(5) पाचन ठीक करने का एक मंत्र भी है :
अगस्त्यं कुम्भकर्णं च शनिं च वडवानलम् ।
आहारपरिपाकार्थं स्मरेद् भीमं च पंचमम् ।।
यह मंत्र पढ़ के पेट पर हाथ घुमाने से भी पाचनतंत्र ठीक रहता है ।
🔹(6) बार-बार मुँह चलाना (खाना) ठीक नहीं, दिन में दो बार भोजन करें । और वह सात्त्विक व सुपाच्य हो । भोजन शांत व प्रसन्न होकर करें । भगवन्नाम से आप्लावित (तर, नम) निगाह डालकर भोजन को प्रसाद बना के खायें ।
🔹(7) 50 साल के बाद स्वास्थ्य जरा नपा-तुला रहता है, रोगप्रतिकारक शक्ति दबी रहती है । इस समय नमक, शक्कर और घी-तेल पाचन की स्थिति पर ध्यान देते हुए नपा-तुला खायें, थोड़ा भी ज्यादा खाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
🔹(8) कइयों की आँखें जलती होंगी, लाल हो जाती होंगी । कइयों को सिरदर्द होता होगा, तो एक-एक घूँट पानी मुँह में लेकर अंदर गरारा (कुल्ला) करता रहे और चाँदी का बर्तन मिले अथवा जो भी मिल जाय, उसमें पानी भर के आँख डुबा के पटपटाता जाय । मुँह में दुबारा पानी भर के फिर दूसरी आँख डुबा के ऐसा करें । फिर इसे कुछ बार दोहराये । इससे आँखों व सिर की गर्मी निकलेगी । सिरदर्द और आँखों की जलन में आराम होगा व नेत्रज्योति में वृद्धि होगी ।
🔹(9) अगर स्वस्थ रहना है और सात्त्विक सुख लेना है तो सूर्योदय के पहले उठना न भूलें । आरोग्य और प्रसन्नता की कुंजी है सुबह-सुबह वायु-सेवन करना । सूरज की किरणें नहीं निकली हों और चन्द्रमा की किरणें शांत हो गयी हों उस समय वातावरण में सात्त्विकता का प्रभाव होता है । वैज्ञानिक भाषा में कहें तो इस समय ओजोन वायु खूब मात्रा में होती है और वातावरण में ऋणायनों का प्रमाण अधिक होता है । वह स्वास्थ्यप्रद होती है । सुबह के समय की जो हवा है वह मरीज को भी थोड़ी सांत्वना देती है ।
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