GEETA VIDEO AND PANCHANG : गीता वीडियो एवम पंचांग
गीता अध्याय ४ ज्ञानकर्म सन्यास योग श्लोक २५
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आज का पंचांग
गुरुवार ०३/०८/२०२३
श्रावण कृष्ण ०२, युगाब्ध - ५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 08:05 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅दिनांक - 03 अगस्त 2023
⛅दिन - गुरुवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - अधिक श्रावण
⛅पक्ष - कृष्ण
⛅नक्षत्र - धनिष्ठा सुबह 09:56 तक तत्पश्चात शतभिषा
⛅योग - सौभाग्य सुबह 10:18 तक तत्पश्चात शोभन
⛅राहु काल - दोपहर 02:24 से 04:03 तक
⛅सूर्योदय - 06:11
⛅सूर्यास्त - 07:20
⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:44 से 05:28 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:24 से 01:08 तक
⛅व्रत पर्व विवरण -
⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🔹मौन : शक्तिसंचय का महान स्रोत🔹
🔸मौन शब्द की संधि विच्छेद की जाय तो म+उ+न होता है । म = मन, उ = उत्कृष्ट और न =नकार। मन को संसार की ओर उत्कृष्ट न होने देना और परमात्मा के स्वरूप में लीन करना ही वास्तविक अर्थ में मौन कहा जाता है ।
🔸वाणी के संयम हेतु मौन अनिवार्य साधन है । मनु्ष्य अन्य इन्द्रियों के उपयोग से जैसे अपनी शक्ति खर्च करता है ऐसे ही बोलकर भी वह अपनी शक्ति का बहुत व्यय करता है ।
🔸मनुष्य वाणी के संयम द्वारा अपनी शक्तियों को विकसित कर सकता है । मौन से आंतरिक शक्तियों का बहुत विकास होता है । अपनी शक्ति को अपने भीतर संचित करने के लिए मौन धारण करने की आवश्यकता है । कहावत है कि न बोलने में नौ गुण ।
🔸ये नौ गुण इस प्रकार हैं । 1. किसी की निंदा नहीं होगी । 2. असत्य बोलने से बचेंगे । 3. किसी से वैर नहीं होगा । 4. किसी से क्षमा नहीं माँगनी पड़ेगी । 5. बाद में आपको पछताना नहीं पड़ेगा । 6. समय का दुरूपयोग नहीं होगा । 7. किसी कार्य का बंधन नहीं रहेगा । 8. अपने वास्तविक ज्ञान की रक्षा होगी । अपना अज्ञान मिटेगा । 9. अंतःकरण की शाँति भंग नहीं होगी ।
🔹मौन के विषय में महापुरूष कहते हैं ।
🔸सुषुप्त शक्तियों को विकसित करने का अमोघ साधन है मौन । योग्यता विकसित करने के लिए मौन जैसा सुगम साधन मैंने दूसरा कोई नहीं देखा ।
- परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू
मौन रखने से आंतरिक शक्तियों का विकास होता है और मनोबल मजबूत होता है ।
🔹गुरुवार विशेष 🔹
🔸हर गुरुवार को तुलसी के पौधे में शुद्ध कच्चा दूध गाय का थोड़ा-सा ही डाले तो, उस घर में लक्ष्मी स्थायी होती है और गुरूवार को व्रत उपवास करके गुरु की पूजा करने वाले के दिल में गुरु की भक्ति स्थायी हो जाती है ।
🔸गुरुवार के दिन देवगुरु बृहस्पति के प्रतीक आम के पेड़ की निम्न प्रकार से पूजा करें :
🔸एक लोटा जल लेकर उसमें चने की दाल, गुड़, कुमकुम, हल्दी व चावल डालकर निम्नलिखित मंत्र बोलते हुए आम के पेड़ की जड़ में चढ़ाएं ।
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः ।
🌹 फिर उपरोक्त मंत्र बोलते हुए आम के वृक्ष की पांच परिक्रमा करें और गुरुभक्ति, गुरुप्रीति बढ़े ऐसी प्रार्थना करें । थोड़ा सा गुड़ या बेसन की मिठाई चींटियों को डाल दें ।
🔸गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है ।
🔸गुरुवार के दिन तेल मालिश हानि करती है । यदि निषिद्ध दिनों में मालिश करनी ही है तो ऋषियों ने उसकी भी व्यवस्था दी है । तेल में दूर्वा डाल के मालिश करें तो वह दोष चला जायेगा ।
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