प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गाली देना, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, मगर CJI चंद्रचूड़ को कुछ कहेंगे तो विपक्षी उसे जेल में डाल देंगे क्या इसे कांग्रेस और CJI चंद्रचूड़ का गठबंधन कहा जाए?
शनिवार को तमिलनाडु के एक राजनीतिक विश्लेषक और प्रकाशक बद्री शेषाद्रि को DMK की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया क्योंकि उन्होंने चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के लिए मणिपुर के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था कि -
“चंद्रचूड़ को बंदूक लेकर मणिपुर भेज देना चाहिए और देखना चाहिए कि वह कैसे शांति स्थापित करते हैं; क्या आप सरकार के काम में भी हस्तक्षेप कर सकते हैं; आप सरकार में दोष क्यों निकाल रहे हैं - मणिपुर एक पहाड़ी इलाका है जहां 2 समुदाय लड़ रहे हैं” --
मजिस्ट्रेट ने उन्हें 11 अगस्त तक के लिए Judicial Custody में भेज दिया -
पेरम्बलूर के एक वकील B Kaviarasu की शिकायत पर ये गिरफ़्तारी की गई -
IPC की धारा 153, दंगा फैलाने की कोशिश करना; 153A, अलग अलग समुदायों में वैमनस्य पैदा कर शांति भंग करना; और 505(1) (b) लोगों में दहशत फ़ैलाने के अंतर्गत केस दर्ज किये गए है जबकि सत्य यह है कि शेषाद्रि की टिप्पणी में ऐसा कुछ नहीं कहा गया है -
ऐसा हो नहीं सकता कि यह गिरफ़्तारी का मामला CJI चंद्रचूड़ तक न पहुंचा हो और उन्हें इस पर तुरंत स्वतः संज्ञान लेकर शेषाद्रि को सम्मान सहित छोड़ने के आदेश दे देने चाहिए थे - क्या लोगों को आप इतना भी बोलने का अधिकार नहीं देना चाहते और यदि नहीं देना चाहते तो आप सही मायने में चीफ जस्टिस की कुर्सी पर बैठने योग्य हैं ही नहीं -
इस तरह की कार्रवाई से एक संदेश जा रहा है कि कांग्रेस मोदी सरकार को मणिपुर मामले में घेरने की कोशिश कर रही थी और चीफ जस्टिस ने स्वतः संज्ञान लेकर कहा कि “यदि सरकार कार्रवाई नहीं करती तो हम करेंगे” - मतलब आप कांग्रेस के साथ खड़े हो गए और तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है जिसने शेषाद्रि को गिरफ्तार करके साबित कर दिया कि सबका एक “गठबंधन” हो गया जिसमे चीफ जस्टिस भी शामिल हैं और गिरफ़्तारी में उनकी भी रजामंदी है -
इस तरह यदि लोगों को गिरफ्तार किया जाएगा तो सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों को “अभिव्यक्ति की आज़ादी” पर भाषण देने बंद कर देने चाहिए - अदालतों ने समय समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियां को भी “सरकार की आलोचना” करने का अधिकार बता कर जायज कहा है और गाली गलौच को भी सही ठहराया है जो किसी तरह उचित नहीं है - और यदि प्रधानमंत्री का अपमान करना “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” है तो चीफ जस्टिस पर टिपण्णी करना कैसे गलत हो सकता है
चीफ जस्टिस के खिलाफ यदि कुछ कहा गया तो उसके लिए शेषाद्रि पर “अवमानना” का मुकदमा चलाया जा सकता है लेकिन आपराधिक मुकदमा दायर करके जेल में डालना कैसे उचित है - मगर समस्या सुप्रीम कोर्ट की यही नहीं हैं - 14 सितंबर, 2021 को अटॉर्नी जनरल ने यूटूबर अजीत भारती के खिलाफ “अवमानना” का मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी परंतु करीब 2 साल होने को आए, अभी तक उसके खिलाफ मुकदमा शुरू नहीं किया गया लेकिन शेषाद्रि को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया -
या तो CJI चंद्रचूड़ तुरंत बद्री शेषाद्रि के मामले में संज्ञान लेकर उसे जेल से रिहा कर सभी केस रद्द करने के आदेश दें अन्यथा यही समझा जायेगा कि आपके राज में न्यायपालिका “तानाशाह” हो गई जो आम जनता का गला घोटने को आतुर है - शेषाद्रि को जेल में डालने की जिम्मेदारी भी आपकी ही मानी जाएगी -
कांग्रेस का यह कैसा गठबंधन चल रहा है जो सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी को बोलने के unlimited अधिकार मांग रही है जबकि अपने राजस्थान के मंत्री को सच बोलने पर बर्खास्त करती है और CJI पर टिप्पणी करने पर एक शरीफ आदमी को जेल में डाल देती है
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