अर्थात आप जिस उद्देश्य की पूर्ति हेतु रुद्राभिषेक करा रहे है उसके लिए किस द्रव्य का प्रयोग करना चाहिए का उल्लेख शिव पुराण में किया गया है। आप इसी के अनुरूप रुद्राभिषेक करायें तो आपको पूर्ण लाभ मिलेगा।
रूद्राभिषेक अनेक पदार्थों से किया जाता है और हर पदार्थ से किया गया रुद्राभिषेक अलग फल देने में सक्षम है जो की इस प्रकार हैं:-
*जल से अभिषेक*
– हर तरह के दुखों से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव का जल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के बाल स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘शुद्ध जल’ भर कर पात्र पर कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ इन्द्राय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर जल की पतली धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ तं त्रिलोकीनाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
*दूध से अभिषेक*
– शिव को प्रसन्न कर उनका आशीर्वाद पाने के लिए दूध से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘प्रकाशमय’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– अभिषेक के लिए तांबे के बर्तन को छोड़कर किसी अन्य धातु के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। खासकर तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए। इससे ये सब मदिरा समान हो जाते हैं। तांबे के पात्र में जल का तो अभिषेक हो सकता है लेकिन तांबे के साथ दूध का संपर्क उसे विष बना देता है इसलिए तांबे के पात्र में दूध का अभिषेक बिल्कुल वर्जित होता है। क्योंकि तांबे के पात्र में दूध अर्पित या उससे भगवान शंकर को अभिषेक कर उन्हें अनजाने में आप विष अर्पित करते हैं। पात्र में ‘दूध’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ श्री कामधेनवे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर दूध की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ सकल लोकैक गुरुर्वै नम: मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
*फलों का रस*
– अखंड धन लाभ व हर तरह के कर्ज से मुक्ति के लिए भगवान शिव का फलों के रस से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘नील कंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘गन्ने का रस’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ कुबेराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर फलों का रस की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए -ॐ ह्रुं नीलकंठाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
*सरसों के तेल से अभिषेक*
– ग्रहबाधा नाश हेतु भगवान शिव का सरसों के तेल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘प्रलयंकर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘सरसों का तेल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ भं भैरवाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय” का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर सरसों के तेल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ नाथ नाथाय नाथाय स्वाहा मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
*चने की दाल*
– किसी भी शुभ कार्य के आरंभ होने व कार्य में उन्नति के लिए भगवान शिव का चने की दाल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘समाधी स्थित’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘चने की दाल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ यक्षनाथाय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर चने की दाल की धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए -ॐ शं शम्भवाय नम: मंत्र का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
*काले तिल से अभिषेक*
– तंत्र बाधा नाश हेतु व बुरी नजर से बचाव के लिए काले तिल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘नीलवर्ण’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘काले तिल’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ हुं कालेश्वराय नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर काले तिल की धार बनाते हुए रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ क्षौं ह्रौं हुं शिवाय नम: का जाप करें।
– शिवलिंग को साफ जल से धो कर वस्त्र से अच्छी तरह से पौंछ कर साफ करें।
*शहद मिश्रित गंगा जल*
– संतान प्राप्ति व पारिवारिक सुख-शांति हेतु शहद मिश्रित गंगा जल से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘चंद्रमौलेश्वर’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में शहद मिश्रित गंगा जल भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ चन्द्रमसे नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर शहद मिश्रित गंगा जल की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ वं चन्द्रमौलेश्वराय स्वाहा’ का जाप करें।
– शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
*घी व शहद*
– रोगों के नाश व लम्बी आयु के लिए घी व शहद से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘त्रयम्बक’ स्वरुप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘घी व शहद’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें।
– ॐ धन्वन्तरयै नम: का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– शिवलिंग पर घी व शहद की पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक करते हुए ॐ ह्रौं जूं स: त्रयम्बकाय स्वाहा का जाप करें।
– शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
*कुमकुम केसर हल्दी*
– आकर्षक व्यक्तित्व की प्राप्ति हेतु भगवान शिव का कुमकुम केसर हल्दी से अभिषेक करें।
– भगवान शिव के ‘नीलकंठ’ स्वरूप का मानसिक ध्यान करें।
– ताम्बे के पात्र में ‘कुमकुम केसर हल्दी और पंचामृत’ भर कर पात्र को चारों और से कुमकुम का तिलक करें – ‘ॐ उमायै नम:’ का जाप करते हुए पात्र पर मौली बाधें।
– पंचाक्षरी मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय’ का जाप करते हुए फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें।
– पंचाक्षरी मंत्र पढ़ते हुए पात्र में फूलों की कुछ पंखुडियां अर्पित करें -पंचाक्षरी मन्त्र ‘ॐ नम: शिवाय’।
– फिर शिवलिंग पर पतली धार बनाते हुए-रुद्राभिषेक करें।
– अभिषेक का मंत्र-ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रौं नीलकंठाय स्वाहा’।
– अंत में शिवलिंग पर स्वच्छ जल से भी अभिषेक करें।
नमः परम शिवाय।