नूंह मेवात में दंगाईयों पर बुलडोजर चला तो पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के जज साहब जाग गए. जज साहब को गुस्सा आ गया और उन्होंने स्वतः संज्ञान लेते हुए बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी.
जज साहब से मेरे कुछ ओपन सवाल हैं--
- भगवा यात्रा से पहले मेवात में हिंदुओं पर हमले की धमकी दी जा रही थी, तब आपको गुस्सा क्यों नहीं आया ?
- जब मेवात के उन्मादी कह रहे थे कि मोनू मानेसर को प्याज की तरह निचोड़ देंगे तब आपको गुस्सा क्यों नहीं आया ?
- जब मेवात में भगवा यात्रा पर हमला किया, तब आपने स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया जज साहब ?
- जब मेवात में जालीदार टोपी लगाई भीड़ हिंदुओं पर हमला कर रही थी, तब आपने स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया जज साहब ?
- जब अभिषेक राजपूत, प्रदीप शर्मा, शक्ति सैनी को मुस्लिम दंगाईयों ने मार डाला, तब आपने स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया जज साहब ?
- जब नूंह के मंदिर में 3 हजार से ज्यादा हिंदू महिलाओं को घेरकर मुस्लिम दंगाई गोलियां बरसा रहे थे, तब आपने स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया जज साहब ?
माननीय जज साहब, आपका न्याय तो सबके लिए बराबर होना चाहिए न ? तब आप उस समय चुप क्यों रहते हैं जब हिंदुओं पर अत्याचार होता है ? लेकिन जब दंगाईयों पर एक्शन हो तो आप अचानक से जाग उठते हैं. ऐसा क्यों जज साहब ?
जज साहब, जब जनता को ये लगता है कि अब तो न्यायपालिका पक्षपाती हो रही है तो इससे सिर्फ न्याय व्यवस्था कमजोर नहीं होती बल्कि देश का लोकतंत्र कमजोर होता है, देश कमजोर होता है. इसके बाद जब यही जनता खिन्न होकर आपके विरुद्ध कुछ लिख देती है तो आप फिर से गुस्सा हो जाते हैं और कहते हैं कि न्यायपालिका के लिए ये सही नहीं है.
जब साहब
- जब यही मेवात अपराध का गढ़ बन जाता है, तब आप चुप रहते हैं
- जब इसी मेवात में अधिकारियों को कुचल कर मार दिया जाता है, तब आप चुप रहते हैं
- जब यही मेवात जामताड़ा की तर्ज पर साइबर क्राइम का हब बन जाता है, तब आप चुप रहते हैं
- जब इसी मेवात के 103 गांव हिंदू विहीन बन जाते हैं, तब आप चुप रहते हैं
जब इसी मेवात में मंदिरों में घंटियां न बजाने के धमकियां इस्लामिक कट्टरपंथी देते हैं, तब आप चुप रहते हैं
- जब इसी मेवात में लव जि हाद और लैंड जि हाद को बढ़ावा दिया जाता है, तब आप चुप रहते हैं
- जब इसी मेवात में हिंदू समाज अपने त्यौहार और उत्सव खुलकर नहीं मना पाता, तब आप चुप रहते हैं
तब आप न तो स्वतः संज्ञान देते हैं और न भयावह मामलों में बढ़ोत्तरी के लिए सरकार को फटकारते हैं
लेकिन
जब वही सरकार मेवात के दंगाईयों पर एक्शन लेती है, उनके अवैध निर्माण को बुलडोजर से ध्वस्त करती है तो अप उत्तेजित हो उठते हैं और स्वतः संज्ञान लेते हुए बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा देते हैं.
जज साहब, क्यों करते हैं आप ऐसा ? देश के हिंदू समाज का न्यायपालिका में विश्वास कमजोर होने दे रहे हैं?
जज साहब, ऐसा मत करिए कि आपके कुछ ऐसे निर्णयों के कारण एक समय पर आप स्वयं ग्लानि का अनुभव करें या आपकी आने वाली पीढ़ी भी इस पर अफसोस जताए कि हमारी न्यायपालिका के अपने निर्णयों से दंगाईयों के हाथ इतने मजबूत कर दिए थे कि आज वह हमारे देश को नोंच रहे हैं.
-- भारत की वर्तमान न्यायिक व्यवस्था से हताश भारतवर्ष का एक युवा नागरिक