क्या नील आर्मस्ट्रांग सचमुच चांद पर गए थे या ये अमेरिका का फैलाया हुआ एक सफेद झूठ है
एक वैश्विक फेक प्रोपेगंडा है सोचिए जरा.!🤔
चांद पे हवा नही है तो ये फ्लेग हवा मे उड़ कैसे रहा है। परछाई कहा से आई।🤔
जिस चांद पर एक छोटी कार के आकार का विक्रम लैंडर जैसा कुछ उतारने में आज भारत सफल हो गया उस चांद पर अनेक देश 2023 तक भी सफल नहीं हो पाए यह कटु सत्य है न..
अभी हाल में रूस जैसा देश भी अपना लैंडर उतार नहीं पाया। चार दिन पहले उसका लैंडर क्रैश कर गया ये भी सभी ने देखा।
फिर कैसे विश्वास कर लें कि उस चांद पर 1969 में ही अमेरिका ने तीन तीन अंतरिक्ष यात्री भेज दिए थे 🤔 क्या ये झूठ नहीं लगता कि नील आर्मस्ट्रांग और उनके दो साथी भारी भरकम यान लेकर चांद पर उतरे भी, उधर घूमे फिरे भी और फोटो सोटो खिंचवा के वापस जिंदा धरती पर आ भी गए. और जब उनके पास टेक्नोलॉजी है ही तो नील आर्मस्ट्रांग के बाद कोई और क्यों नहीं गया. नील आर्मस्ट्रॉन्ग के नाती पोते चांद पर खेती करने क्यों नहीं गए।🤔
चलो मान लिया तुम्हारे चांद पर खींचे हुए ये फोटो असली हैं।किसी हॉलीवुड के स्टूडियों में नहीं खींचे गए हैं। तुम चांद पर गए होगे।पर मियाँ ये तो बताओ...
वहाँ से वापस लौटे कैसे🤔 लौटा कर लाने वाला रॉकेट चांद की सतह पर कब खड़ा किया था?भेजने के लिए रॉकेट चाहिए।
तो लाने के लिए चांद पर भी रॉकेट स्टेशन नहीं होना चाहिए था क्या?
अपोलो में बैठे अंतरिक्ष यात्रियों को किस रॉकेट बूस्टर से चांद
दिमाग की बत्ती जलाओ कैसे कुछ ताकतवर देश मूर्ख बना रहे हैं दुनिया को
के गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र से बाहर निकाला था झूठे अमेरिकियों
धरती से सैकड़ों टन का रॉकेट बहुत तेज गति से जिसे इस्केप वेलोसिटी कहते हैं उससे ऊपर भेजना पड़ता है तब वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से बाहर निकल कर अंतरिक्ष में जा पाता है।
तुम अमेरिकियों ने नील आर्मस्ट्रांग को चांद पर उतारा होगा तो उनको वापस लाने के लिए किस रॉकेट का उपयोग किया था नाम तो संसार को बता दो
सच तो यह है कि चाँद पर आज तक कोई मनुष्य नहीं पहुंचा है। कोई लैंडर कोई रोवर पहुंचा है तो वह भारत का ही है जो 23 अगस्त 2023 को पहुंचा है।
बाकी तो झूठी कहानियाँ हैं। जो संसार भर में रोज गढ़ी जाती हैं।
नील आर्मस्ट्रांग चांद पर गए थे
ये वैसा ही सच है जैसे कि हमने सुना था कि.. कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी से पढ़ी लिखी हैं मन घंडत कहानियां 🤪